योगशास्त्रम् | Yog Shastram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
596
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथेस: प्रकाश: । ই
अश्येदु: कब्टिकाहेतो: कौशिके बहिरोबुषि।
अभाडजषुर्मकचचु राजस्था: शेतस्वया एत्य तदमम् ॥ २ ॥
अथ व्यावत्तमानस्थ गोपास्तस्य ग्धवोविदन् ।
पश्स पश्य वन कञिद्व्यते भज्यते तव ॥ ३ ॥
जाव्वच्यमान: क्रोपेन हविधेव हुताशनः |
भअङण्ठधारसुद्यम्य कुठारं सोऽभ्यधावत ॥४।॥
राजपुल्ास्ततो नशु: श्येनादिव शकुन्तय: ।
खसवलितला च पपातायं यमवज्ञा इवावटे ॥ ५ ४
पतत: पतितस्तस्य सच्मुख: परश: शितः ।
शिरो दिधाक्षतं तेन हो विपाकः कुकमणाम् ॥ ९ ॥
स विपदय बनेऽत्रेव चण्डोऽहिर्दभ्विषोऽभवत् ।
क्रोधस्तोत्रागुबन्धो हि सह याति भवान्तरे ॥ ७ ॥
अवश्यं चेष बोधाह इति तुया जगहुरुः ।
भाकपोडमगणयबुलुनेव पथा ययौ ॥ ८ ॥
अभवत्पदसश्चारसुखमोभूलवालुकम् ।
उदपानावहत्कुस्थं शुष्क जज रपादपम् ॥ ८ ॥
जीक्षपत्त चयास्तीर्स कोर्स वल्योकपवन्वते: ।
स्लोभूतोटज जोशारण्य॑ न्यविशत प्रभु! ॥ १० ॥
तत्र चाथ जगवाधो यच्षस्ण्डध पिकान्तरे ।
तख्यीं प्रतिसया नासाप्रान्तवियान्तलोचन: ॥ ११ ॥
ततो हृ्टिविषः समैः सदर भ्रमितुं बदिः।
दिलानिरसरस्निद्भा कालरातिसुष्ठादिव ५ १२ ॥
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