वर्णी - वर्णी भाग 1 Ac 4051 | Warni - Waani Vol 1 Ac 4051
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
430
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६ ६)
पं० ज्ञ ने कहा---आशीर्वादसे लाभ ?
मैंने उत्तर दिया--जिन्हें आपके दो शब्द श्राप्त हो जाते हैं, उनकी
आशाका भण्डार भर जाता है। में भी उनमें एक होनेका सौभाग्य प्राप्त
कर सकूँ, यही । पं० नेहरूज़ीने हँसते हुए कद्दा-शिक्षा पूर्ण करो
कतेव्य करे, देश सेवाके लिये कास करो, सफलता अवश्य
मिलेगी ।
मैंने कहा---इन सभी बातोंके लिए हमें आपका आशीर्वाद आवश्यक
है । पं नेहरूजीने कषा- क्या यह धिना श्ाशीर्बाद्के नदीं होगा ? मेंनेः
कहा-जी नहीं, .मेरा विशवास है कि जीवनमें सफलताकी स.घनाके
लिये श्रापके शमाशीवांद बिना चह नवस्फूतिं ओर वह नवजीवन जायति
नहीं श्रा सकती जो इसके लिये अपेक्षित है, अ्रत्यावश्यक है। पं० नेहरू
जीने कद्दा--अच्छा ९ तो जाओ, सफलता अबश्य मिलेगी |
मेरे द्वारा दिये गये वर्णीजीके परिचयमें ''मौनदेशभक्त बयोजी”'
शीषकमें वर्शीजीकी राष्ट्र कल्याणकी भावनासे वे बहुत प्रसक्ष हुए | यह
जानकर तो ये और भी प्रसन्न हुए कि वर्णा्ज.ने मानवमात्रके आरमकल्याण
के लिये अपना स्पष्ट अभिमत देकर जनघधमंके पविन्न उदार सिद्धान्तोंकी
सुरक्षा की है, और विश्ववन्ध बापूके रचनात्मक कार्य--अछुतोद्धारमें
राष्ट्रीय सरकारकी सहायता कर सम्तोंको समुज्वल पथ प्रदर्शन किया है 1.
सचमुच आजकी सामाजिक व दूसरी समस्यपाएँ ऐसी डलमी हुई
हैं कि उनके सुलमानेके लिये वर्णीजी जेले महामना सन्त ही समर्थ दो
सकते हैं । साधारण व्यक्तियोंकी बात सुननेका समय आजकी समाजके
प्रास नहीं है और न वह इसके लिये सजग ही है। कभी सजग दोता
भी है तो सही विचार ज्यक्त फरनेवालोको दुवाकर रखनेके लिये ही [.
पूकचार मैंने एक ऐसी ही घटना वर्णाजीको सुनाई तब उन्होंने उत्तर
दिया-- “मैया | यह तो संसार है, इसमें और क्या मिल्लेया ? सारे
समाजमें कुछ ही ब्यक्ति ऐसे होते हैं, उनकी प्रव्नत्तियोंकी देखकर ही:
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