घर की आन | Ghar Ki Aan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Ghar Ki Aan by सत्य प्रकाश - Satya Prakash

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सत्य प्रकाश - Satya Prakash

Add Infomation AboutSatya Prakash

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पहिला परिच्छेद अमानतपुर, नगर से दस मील की दूरी पर एक छोटा सा गांव था । वहाँ की आबादी सोलह सौ पचास थी । बहाँ के मिबासी अधिकतर किसान थे, और अपनी अपनी भूमि में स्वयं हल चलाते थे । सारे भारतवषं की भति यँ भी भूमि का विभाजन एक जैसा नहीं रा । किसी के पास चालीस एकड़ भूमि थी, तो दूसरे के पास केवल चार ही और तीसरे के पास केवल एक । एक व्यक्ति के अतिरिक्त शेप सभी व्यक्ति खेतों में काम करते थे। बह व्यक्ति था ज्षमींदार। बड़ा ज़मींदार जिसके पास पाँच सौ एकड़ भूमि थी। परन्तु उसकी सारी जमीन किसी दूसरे ग्राम में थी, यद्यपि बह अमानतपुर ही में रहता था। अमानतपुर के सारे किसान अपने आपको जमींदार कहते थे। किसी का साहस न था कि उन्हें किसान कह सके । प्रत्येक किसान जमीदार की सी अकड़ रखता। अपने सम्मान के जिय वह्‌ केसा भी बलिदान कर सकता था




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now