संयुक्त - निकाय भाग 1 | Sanyutta Nikaya Bhag 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
525
श्रेणी :
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भिक्षु जगदीश काश्यप - Bhikshu Jagdish Kashyap
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भिक्षु धर्मरक्षित - Bhikshu dharmrakshit
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८ ९० )
8 नदी ओर जलाशय
घुद्फार में- गप्यम देश मे जो नदी जटादय और पुष्करिणी थीं, उनका सक्षिप्त परिचय इस
जनना चिप -- =
सचि स्वती. इते वर्तमान समय में राप्ती बहते हैं। यद्द भारत की पाँच मद्दानदियों में एक
थी। इसी के क्निरे कोशर की राजपानी श्रावस्ती बसी थौ 1 টা
अनोम[--इसी नदी के किनारे सिद्धार्थ कुमार ने प्रश्नज्या अहण ही थी। श्री कर्निघम ने गोरख-
ভিউ फी आमी नदी কী जनोमा माना हे जौर ध्री कारकाय ने बस्ती जिसे बी छुड्घा नी को ।
किन्तु इन पंक्तियों के ऐेसक की दृष्टि में देवरिया मिठे की मझन नदी ही अनोमा नदी है। (देखो,
कुशीनगर या इतिहास, पद्म प्रकरण, एछ ५८ )।
चाहका--छुद्दशार से चह एर पवित्र नदी मानी जाती थी। चर्तमाव समय में इसे धुमेट
नाम सै पुकारते है । यह राप्ती की सहायक नदी है ।
चाहुमतती--पर्तमान समय से इस बास्मती कहते दे, जो नेपार से द्व इई धिह प्रान्त मे
श्ाती है । इसी के किनारे काठ्माहू नगर बसा है ।
৮ चस्पा-न्यह मगध भोर अग जनपदों की सीसा पर बहती थी ।
छन्त दिमारय में स्थित एक सरोधर था ।
गगा--यद्द भारत की प्रसिद्ध नदी हे। इसी के किनारे हरिद्वार, प्रयाग भौर घारुणसी स्थित है ।
गग्गरा पुप्करिणी-भेग जनयद् मे चम्पा नगरके पास थी। इसे रानी गग्गरा ने सोद-
घाया था । ॥ 3
हिरण्यचती--छुशीमारा भौर मत्टों का श।हघन उपबत्तम हिरण्यवती नदी के फ्निारे स्थित
ये। देवरिया जिले का सोनरा नाल ही हिरण्यवती नदी है (यह छुछकुछा स्थान के पास खयुभा नदी भ
मिछती है । इसो को द्विरवा की नारी और छुसरही मारा भी कहते हैं, जो 'कुशीनारा? का अपभ्रश हे ।
फोसिरी--यदे गा की एक सहायक नदी हे | वर्तमान समय सें इसे छुसी मदी कहते दे ।
অন্তত মহ नदी पावा भौर कुशौनारा के वीच स्थित थी । धर्तमान घाघी मंदी दी बकुत्था
मानी ज्ञाती ६1 ( देखो, कुशीनगर का इतिहास, ए४ ३० )। *
<कदमदेद-इस नदी फे किनारे महाकात्यायन ने,छुछ दिनों तक विद्वार किया था ।
क्रिभिकाला--यषट सदी चारि में थी । मेधिय स्थविर ने अत्तुप्रम से सि्षपटन वर इस .
सदर के किनारे विद्वार किया था ।
मंगल पुष्करिणी--इसी के किनारे बैठे हुए तथागत को राहुल के परिनिर्धाण का समाचार
मिला था ।
मद्दी--पद्द भारत की पाँच बढ़ी नदियों में से एक थी । बढ़ी गण्डक को ही सही कद्दते हैं ।
र्थराए--पह हिमाट्य में एक सरोवर था ।
रोहिणी--पह शाक्ष्य जार कोटिय जनपद की सीमा पर बहती थी। वर्तमान समय में भी
इसे रोहिणी दी कहते €ं। यह गोरणपुर के पास राप्ी में ग्रिरती है ।
सत्पिनी-यद न्दी राजय फे पास यदती थी । वर्तमान पान नदौ हौ सम्भवत सप्पिनी
नदी दे 1
खुतनु--इस गदी के কিবা আজাদ অন্ত ने विद्र दिया था ।
निरञ्षना--यह बदो उस्येटा प्रदे मे दती थी । इसी के किनारे র্যা स्थित है। হজ
समय इसे विराजना नदी फदतें हैं। निदायना सौर सोहना नदियाँ मिरक्र छ पर्यु नदौ নী जाती
है। निरामना नदी एजारीयाग शिले के सिसेरिया नामक स्थान के पाम से निकन्ती ह।
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