संयुक्त - निकाय भाग 1 | Sanyutta Nikaya Bhag 1

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Sanyutta Nikaya Bhag 1  by भिक्षु जगदीश काश्यप - Bhikshu Jagdish Kashyap

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भिक्षु धर्मरक्षित - Bhikshu dharmrakshit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८ ९० ) 8 नदी ओर जलाशय घुद्फार में- गप्यम देश मे जो नदी जटादय और पुष्करिणी थीं, उनका सक्षिप्त परिचय इस जनना चिप -- = सचि स्वती. इते वर्तमान समय में राप्ती बहते हैं। यद्द भारत की पाँच मद्दानदियों में एक थी। इसी के क्निरे कोशर की राजपानी श्रावस्ती बसी थौ 1 টা अनोम[--इसी नदी के किनारे सिद्धार्थ कुमार ने प्रश्नज्या अहण ही थी। श्री कर्निघम ने गोरख- ভিউ फी आमी नदी কী जनोमा माना हे जौर ध्री कारकाय ने बस्ती जिसे बी छुड्घा नी को । किन्तु इन पंक्तियों के ऐेसक की दृष्टि में देवरिया मिठे की मझन नदी ही अनोमा नदी है। (देखो, कुशीनगर या इतिहास, पद्म प्रकरण, एछ ५८ )। चाहका--छुद्दशार से चह एर पवित्र नदी मानी जाती थी। चर्तमाव समय में इसे धुमेट नाम सै पुकारते है । यह राप्ती की सहायक नदी है । चाहुमतती--पर्तमान समय से इस बास्मती कहते दे, जो नेपार से द्व इई धिह प्रान्त मे श्ाती है । इसी के किनारे काठ्माहू नगर बसा है । ৮ चस्पा-न्यह मगध भोर अग जनपदों की सीसा पर बहती थी । छन्त दिमारय में स्थित एक सरोधर था । गगा--यद्द भारत की प्रसिद्ध नदी हे। इसी के किनारे हरिद्वार, प्रयाग भौर घारुणसी स्थित है । गग्गरा पुप्करिणी-भेग जनयद्‌ मे चम्पा नगरके पास थी। इसे रानी गग्गरा ने सोद- घाया था । ॥ 3 हिरण्यचती--छुशीमारा भौर मत्टों का श।हघन उपबत्तम हिरण्यवती नदी के फ्निारे स्थित ये। देवरिया जिले का सोनरा नाल ही हिरण्यवती नदी है (यह छुछकुछा स्थान के पास खयुभा नदी भ मिछती है । इसो को द्विरवा की नारी और छुसरही मारा भी कहते हैं, जो 'कुशीनारा? का अपभ्रश हे । फोसिरी--यदे गा की एक सहायक नदी हे | वर्तमान समय सें इसे छुसी मदी कहते दे । অন্তত মহ नदी पावा भौर कुशौनारा के वीच स्थित थी । धर्तमान घाघी मंदी दी बकुत्था मानी ज्ञाती ६1 ( देखो, कुशीनगर का इतिहास, ए४ ३० )। * <कदमदेद-इस नदी फे किनारे महाकात्यायन ने,छुछ दिनों तक विद्वार किया था । क्रिभिकाला--यषट सदी चारि में थी । मेधिय स्थविर ने अत्तुप्रम से सि्षपटन वर इस . सदर के किनारे विद्वार किया था । मंगल पुष्करिणी--इसी के किनारे बैठे हुए तथागत को राहुल के परिनिर्धाण का समाचार मिला था । मद्दी--पद्द भारत की पाँच बढ़ी नदियों में से एक थी । बढ़ी गण्डक को ही सही कद्दते हैं । र्थराए--पह हिमाट्य में एक सरोवर था । रोहिणी--पह शाक्ष्य जार कोटिय जनपद की सीमा पर बहती थी। वर्तमान समय में भी इसे रोहिणी दी कहते €ं। यह गोरणपुर के पास राप्ी में ग्रिरती है । सत्पिनी-यद न्दी राजय फे पास यदती थी । वर्तमान पान नदौ हौ सम्भवत सप्पिनी नदी दे 1 खुतनु--इस गदी के কিবা আজাদ অন্ত ने विद्र दिया था । निरञ्षना--यह बदो उस्येटा प्रदे मे दती थी । इसी के किनारे র্যা स्थित है। হজ समय इसे विराजना नदी फदतें हैं। निदायना सौर सोहना नदियाँ मिरक्र छ पर्यु नदौ নী जाती है। निरामना नदी एजारीयाग शिले के सिसेरिया नामक स्थान के पाम से निकन्ती ह।




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