बाढ़ और सूखा | FLOODS AND DROUGHTSAN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
49
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जानकारी द् | लिए
३ प | |
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पा जो वर्षा का जल गिरता है वह दो तरह से आगे बढ़ता है। कुछ हिस्सा सतह पर बहता हुआ
कल धाराओं में मिल जाता है। कुछ भूमि के भीतर रिस कर भू-जल भण्डारों में समा
जाता है ।
इन दोनों प्रकारों से पानी का बहना अति महत्वपूर्ण है क्यों कि इनसे वर्षा का पानी ऐसे स्थानों पर
पहुँचता है जहाँ से वर्षीकाल के बाद भी पानी प्राप्त किया जा सकता है । जिस क्षेत्र से बह कर पानी
किसी जलाशय में आता है वह क्षेत्र उस जलाशय का जल-हण क्षेत्र कहलाता है ।
सतह से ही दह जाने वाला पानी अनेक जलगोतों के लिए आवश्यक होता है | उनका स्थायी रूप से
बने रहना इसी पर निर्भर करता है कि उन्हें यह पानी निरन्तर मिलता रहे । सतह से बह जाने वाला
पानी झीलों को वाष्पीकरण के कारण सूख जाने से रोकता है और नदियों के पानी को निम्नतम स्तर
से नीचे गिरने से बचाता है ।
सतह से बहता जल एक बहुमूल्य संसाधन है जिसका मनुष्य सिंचाई, बिजली उत्पादन, परिवहन तथा
घरेलू आवश्यकताओं के लिए उफ्योग कर सकता है - लेकिन तभी जब दुरुपयोग से इसे अनुफ्युक्त
न बना दिया जाए | सतह पर बहते जल के साथ रासायनिक खाद, कीटनाशक, शहरों और उद्योगों
की गन्दगी आदि जलझायों और नदियों में मिल जाती हैं । बहता जल एम और गाद को एक
स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए भी उत्तरदायी है। यह गाद नदियों और जलएायों में जमा
हो कर बाढ़ की सम्भावना को बढ़ाती है |
इस गतिविधि में विद्यार्थी किसी निश्चित स्थान पर पड़ने वाली वर्षा की मात्रा और वर्षा के दौरान
गिरने वाले पानी के भार का ऑकलन करते हैं। वे अपने विद्यालय में खेल के मैदान या अन्य किसी
स्थान का क्षेत्रफल माप ही हैं। वर्षा के आँकड़े समाचारपत्रों के प्राप्त कर सकते हैं या उस क्षेत्र
में होने वाली वर्षी को वर्षीमापी से माप सकते हैं ॥ क्षेत्रफल को वर्षा की दर से गुणा कर के वे उस
क्षेत्र में पड़ने वाली वर्षी के आयतन का पता लगा सकते हैं ।
इस गतिविधि में विद्यार्थी यह समझेंगे कि वर्षा से हमें कितनी अधिक मात्रा में पानी उपलब्ध होता है,
और यह सब पानी कहाँ जाता है। यह चर्चा प्रारम्भ करने का रोचक विष्य है। आप समझा सकते है'
कि वर्षा के पानी का कुछ अंश सतह पर बह जाता है जिसका कुछ हिस्सा पौधों द्वारा सोख लिया
जाता है, और कुछ झीलों और नदियों में इकट्ठा हो कर सभी जीवो' के लिए उपयोगी बनता है ।
कुछ अंश भूमि में रिस कर भू-जल भण्डार बन जाता है ।
विद्यार्थी सूले के समय में होने वाली पानी की कमी का वर्षा के रूप में प्राप्त होने वाले पानी की
विशाल मात्रा से सम्बन्ध स्थपित करते हैं। इससे वे यह भी समझेंगे कि वर्षा के बाद के शेष आठ
के में सूजे से सुरक्षा के लिए प्राकृतिक जल-भण्डारण प्रणालियों की इतनी आवश्यकता क्यों'
9.
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