शरीर का कवच | SHARIR KA KAVACH
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
31
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
डॉ० करेन हेडॉक - DR. KAREN HAYDOCK
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कील- मुहाँसे
कील-मुहाँसों को तो किशोरावस्था का एक लक्षण ही मानना चाहिए क्यों कि सभी किशोर-किशोरियों और
युवक-यवतियों को कभी न कभी 12-13 साल से 24-25 साल की उम्र के बीच, कील-मुहाँसे निकलते हैं। चाहे
वे मामूली हों या ज़्यादा |
बाल टूट सकता है।
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27/51/४732:
कील-मुहाँसे क्या हैं?
किशोरावस्था में शरीर की ग्रथियाँ ज्यादा सकिय हो जाती हैं जिसकी वजह से हमारा शरीर तेजी से बदलने लगता
है| शरीर में अलग-अलग तरह की ग्रथियाँ होती हैं जो तरह-तरह के रस बनाती हैं और जिनके अलग-अलग
काम होते हैं। त्वचा में पायी गई तेल ग्रंथि उनमें से एक है।
किशोरावस्था में तेल की ग्रंथियों की संख्या बढ़ जाती है। वे ज़्यादा तेल छोड़ने लगती हैं। तेल भी ज़्यादा गाढ़ा
हो जाता है। इस वजह से कभी-कभी वह हमारी त्वचा पर दिख रहे छिद्रों से नहीं निकल पाता | यह रुका तेल
हमें त्वचा पर सफेद या काले कील जैसा दिखता है| कभी-कभी ये कील सूज जाते हैं व लाल हो जाते हैं और
दर्द करते हैं। इन्हे मुहाँसे कहते हैं। यदि इनमें जीवाणुओं की मात्रा बड़ जाती है तो इनमें पीप बनने लगता है,
तब और भी बड़े हो जाते हैं और उनमें दर्द होने लगता है। कई बार ठीक होने पर ऐसे मुहॉसे दाग छोड़ जाते
हैं |
कील-मुहाँसे वहाँ उभरते है जहाँ तेल की ग्रथियाँ ज्यादा होती हैं जैसे चेहरे, माथे, पीठ, छाती और गर्दन। यह
देखा गया है कि लड़कों को मुहॉसों की शिकायत ज़्यादा होती है। लड़कियों में माहवारी (एम.सी) आने के कुछ
दिन पहले मुहॉँसे निकल आते हैं। तनाव बढ़ने पर मुहाँसे ज्यादा निकलते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि कुछ
दवाओं से ज्यादा मुहॉसे निकलते हैं। कछ गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से कम होते हैं और कुछ से बढ़ जाते
हैं। जिन लोगों को अधिक गर्मी या फिर ऐसे काम करने पड़ते है जिनसे त्वचा पर तेल गिरता है जैसे-पेट्रोल
पम्प | उनको मुहाँसे होने की संभावना बड़ जाती है। कई सौदर्य प्रसाधन जो कि तैलीय होते हैं उनसे भी मुहाँसे
निकल सकते हैं|
मुहाँसों के लिए क्या कर सकते हैं?
* प्रकशति का नियम है कि वह किसी भी रोग से छुटकारा पाने में शरीर की सहायता करती है। इसलिए
आमतौर पर मामूली या साधारण मुहाँसे अपने-आप ठीक हो जाते हैं, परंतु कई युवक-युवतियों को मुहँसे
घिनौने लगते हैं और वे उनको नोचने, दाबने और छीलने से रोक नहीं पाते। इसकी वजह से मुहाँसों को
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