हिंदी चेतना ,अंक -51, जुलाई 2011 | HINDI CHETNA- MAGAZINE - ISSUE 51 - JULY 2011

HINDI CHETNA- MAGAZINE - ISSUE 51 - JULY 2011 by पुस्तक समूह - Pustak Samuhविभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अभी भी इनके पीछे लगी हुई है। यूनियन कार्बाइड की उस फैक्ट्री को उसने कई बार देखा है भोपाल से बैरसिया आते जाते समय | बैरसिया उसका ननिहाल है। उस फैक्ट्री के आसपास इतनी घनी आबादी है कि गाड़ियाँ निकालना मुश्किल हो जाता है। सुन ये रहे हैं कि फैक्ट्री के आसपास की पूरी आबादी को लील गई है ये गैस। ये जो बच कर आ रहे हैं ये तो फैक्ट्री से दूर रहने वाले लोग हैं। अगर सबको लील गई है तो कितनी होगी संख्या? दस हज़ार, बीस हज़ार... ? उफ्फ़। “आपके पति क्‍या करते हैं?” उसने मुख्य सड़क पर आकर पूछा। “वहाँ डाकखाने में मुलाज़िम हैं। क्लर्क हैं वहाँ पर।' महिला ने उत्तर दिया। “क्या नाम है उनका ?! उसने फिर पूछा। “वैसे तो ज़फ़र खान नाम है पर सब लोग ख़ान बाबू के नाम से जानते हैं उनको ।' महिला ने उत्तर दिया। पोस्ट ऑफिस सुनकर उसे लगा कि संपर्क का एक सूत्र तो है ही सही। उसके क़दम सिटी पोस्ट ऑफिस की तरफ मुड़ गये। पोस्ट आफिस में भी वही अफ़रा तफ़री का माहौल था। कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं था। हर किसी की ज़ुबान पर एक ही नाम था “भोपाल!। कुछ देर तक तो वो लोग परेशान होते रहे, फिर कुछ सोचकर वो उन लोगों को लेकर पोस्ट मास्टर के चैंबर में चला गया। अधेड़ उम्र के पोस्ट मास्टर ने जब पूरी बात सुनी तो तुरंत रायसेन पोस्ट ऑफिस का नंबर लगाने लगे। मगर नंबर मिलना भी एक दुश्वार काम था। काफी देर तक नंबर नहीं मिला तो पोस्ट मास्टर ने एक टेलीग्राम रायसेन पोस्ट ऑफिस के पोस्ट मास्टर के नाम करवा दिया जिसमें ज़फ़र ख़ान के परिवार के सही सलामत सीहोर के पोस्ट ऑफिस में होने की सूचना थी। जुलाई-सितम्बर 2011 15 कुछ देर बाद उस तरफ से टेलीग्राम आ गया कि ज़फ़र ख़ान इधर से निकल चुके हैं, उनके परिवार को पोस्ट ऑफिस में ही बिठाया जाये। पोस्ट मास्टर ने वहीं पोस्ट ऑफिस के एक कमरे में उन लोगों के बैठने की व्यवस्था कर दी। एक चपरासी आकर कोने में डाक छँटाई के काम में लगने वाली दरी बिछा गया और कुछ कुर्मियाँ रख गया। “बेटा आपके घर वाले चिंता कर रहे होंगे, अब आप जाओ।' महिला ने विनम्रता से कहा। “नहीं अम्मा जी, ख़ान साहब आ जाएँ फिर चला जाऊँगा। वैसे भी मैं कॉलेज से घर शाम तक ही पहुँचता हूँ, घर वाले चिंता नहीं करेंगे।' उसने कहा। “जीते रहिये बेटा जी, अल्लाह ख़ूब नेमतें बरसाए आप पर।” कहते हुए महिला दरी पर अधलेटी अवस्था में हो गई।




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