शाप | SHAAP
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
11
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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विजयदान देथा - Vijaydan Detha
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)2 काना, शूल भरा बबूल और कोयल काली।' कहते ही कोयल[&
कौए से भी अधिक काली हो गई। उस दिन से ही कोयलें काली &
होने लगी हैं, पहिले सोने के समान पीली व चमकीली हुआ करती (2
अं शथी। 10
वहां से उड़कर कौआ एक चंदन के वृक्ष पर जाकर बैठा। 5.
उस वृक्ष से कई साँप और अजगर लिपटे हुए थे। कौए के एक ४ ड
आँख देखी तो उन्हें बड़ा अचरज हुआ। कौए से पूछा-“कौए (३.
9, भाई, कौए भाई, कल तो मणियों जैसे तेरी दोनों आँखे चमक *
॥| रही थी, आज तेरे एक ही आँख कैसे? कौए ने जवाब दिया--“मुझे [£
ज है मरती कीडी ने सराप दिया कि कौआ काना, शूलों भरा बबूल, #
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गिर पडे। उस दिन से ही सभी सॉँप पेट के बल रेंगते हुए चलने के
लगे | पहिले उनके एक सौ आठ पाव हुआ कर्ते थे । 2
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