जीवन की इकाई - कोशिका | JEEVAN KI IKAAI - KOSHIKA

JEEVAN KI IKAAI - KOSHIKA by पुस्तक समूह - Pustak Samuhविभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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3(क): प्याज़ की कोशिका में केन्द्रक इसके लिए एक बार फिर प्याज़ की झिल्ली निकालनी होगी। झिल्ली निकालकर उस पर 1-2 बूँद अभिरंजक घोल (सेफ्रेनीन, मिथायलीन ब्लू या लाल स्याही) की डाल दें | सेफ्रेनिन का घोल बनाने के लिए लगभग एक- चौथाई चम्मच सेफ्रेनिन 100 मि.ली. पानी में घोल लें। झिल्ली को कवर स्लिप से ढंककर पॉच मिनट रखा रहने दें | पाँच मिनट बाद कवर स्लिप की एक ओर से बूँद-बूँद पानी डालें तथा दूसरी ओर से एक छन्‍ना कागज़ (फिल्टर पेपर) की मदद से सोखते जाएँ। इस तरह से अतिरिक्त अभिरंजक निकल जाएगा। अब इस स्लाइड को सूक्ष्मदर्शी से देखें | बच्चों से यह देखने को कहें कि क्या कोशिकाओं में लाल रंग की एक गोल रचना नज़र आ रही है। यही केन्द्रक है। वैसे तो ज़रूरत नहीं पड़ेगी मगर चित्र 11 की मदद ले सकते हैं गतिविधि 3(ख): गाल की कोशिकाओं मे केन्द्रक प्याज़ की झिल्ली की तरह आप गाल की कोशिकाओं को भी सेफ्रेनीन या मिथायलीन ब्लू से अभिरंजित करके केन्द्रक देखने की कोशिश कर सकते हैं | गाल की कोशिकाओं में केन्द्रक जब हम स्टेनिंग को तकनीक का उपयोग करते हैं तो वह स्टेन अलग-अलग भागों से कम-ज़्यादा जुड़ता है। इससे एक तो हमें उन भागों को देखने में सहूलियत होती है, और दूसरे, उन भागों के रासायनिक संगठन के बारे में भी अन्दाज़ लगता है। चित्र 11 प्याज़ की झिल्ली में ड़ २५100 गतिविधि 3(ग): ग्वारपाठे की पत्ती में केन्द्रक ग्वारपाठे का वनस्पति वैज्ञानिक नाम एलो वेरा (8/0०९ ४९/५) है | ग्वारपाठे के पत्ते की एक झिल्ली निकालें | इसे स्लाइड पर रखकर सूृक्ष्मदर्शी से देखें। इसमें केन्द्रक स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। अभिरंजन की भी ज़रूरत नहीं पड़ती | करना यह होता है कि सूक्ष्मदर्शी में प्रकाश को थोड़ा कम-ज़्यादा करके देखना होता है। इसके लिए दर्पण को घुमाएँ या डायफ्राम की मदद लें। कंडेंसर की मदद से प्रकाश को कम करके कोशिकाओं के अन्दर की संरचनाएँ अधिक स्पष्ट दिखाई देती हैं। आप भी इस तकनीक का उपयोग करके देखें | क्या सभी कोशिकाओं में केन्द्रक नज़र आया? हम आगे देखेंगे कि केन्द्रक कोशिका का एक महत्वपूर्ण उपांग है मगर इसकी भूमिका का खुलासा होने में कई साल लगे थे। इस बीच वैज्ञानिकों ने तरह-तरह के अनुमान लगाए थे कि यह रचना किस काम की है |




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