अनमोल खज़ाना - अन्ताक्षरी | ANMOL KHAZANA- ANTAKSHARI

ANMOL KHAZANA- ANTAKSHARI by पुस्तक समूह - Pustak Samuhविजयदान देथा - Vijaydan Detha

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

विजयदान देथा - Vijaydan Detha

No Information available about विजयदान देथा - Vijaydan Detha

Add Infomation AboutVijaydan Detha

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
.._ राजा ने सवारों को हुक्म दिया, 'कुंछ रुककर यहाँ से चलेंगे । तब तक इंस खेजड़ी ._ . की छाया में आराम कर लें। इस मूरख की बातें मुझे बहुत अच्छी लगी। इसके मुह: से कुछ और सुनना चाहता हूँ। घोड़ों को चरने के लिए छोडकर सभी खेजड़ी-तले आ बैठे । : वो गावदी बोला, “भेड़ों को पानी पिलाने का वक्‍त हो गया। पहले इन्हें पानी पिला लाऊँ। लौटकर कुछ देर अलगोजा बजाऊँगा। आपके आने से खलल पड़ गया। किसी के कहने-सुनने की बाट जोहे बिना वो भेड़ों को लेकर चल पड़ा। दूसरा गड़रिया हँसते-हँसते बोला, “हजूर इसकी करतूतें देख-देखकर थक जायेंगे, पर उनका अन्त नहीं आयेगा। देस के मालिक को छोड़, कुछ भेड़ों को पानी पिलाने चल दिया! एक दफा जो जैँच गयी वह जंच गयी। फिर यह भगवान की नहीं सुनता। पर एक बात तो उसकी-पीठ पीछे भी माननी पड़ेगी कि सताता कभी किसी को नहीं। बाँगडू पन से हमेशा खुद ही नुक्सान उठाता है, दूसरे का कुछ नहीं बिगाड़ता। इस पत्थर को कौन समझाये! अब भी देखिए, कछुए की तरह कैसे धीरे-धीरे आ रहा है! चिरमिखी कहीं का!” राजा अपने ही खयालों में खोया था। उसकी आधी-दूद्दी बातें सुनी और आधी-दूद्दी सुनी ही नहीं। उसके पास आने पर वो दूसरा गड़रिया आगे बोला, “अब तेरे अलगोजे को आग लगा। पहले, अन्नदाता जो पूछें, उसका जवाब दे'। राजा उसे टोकते बोला,'नहीं ,नहीं। तू बीच में गड़बड़ मत कर। जो इसकी मरजी हो, करने दे। द वो अलगोजे की मीठी तान में ऐसा डूबा, जैसे समाधि लगायी हो। राजा एक नयी ही दुनिया में पहुँच गया। यह संगीत है कि जादू! अलगोजा रुकने पर फिर हलचल हुई | दूसरे गड़रिये ने लम्बी साँस छोड़ी | बोला,'यह अलगोजे का गुण भी इसमें खूब है। कब सीखा, किसने सिखाया, यह कोई नहीं जानता | पूछें तो उलटा सवाल करता है कि झरनों को बहना किसने सिखाया? हवा को चलना किसने सिखाया? कॉयल को गाना किसने सिखाया? अन्नदाता, इसके पागलपन के आगे भला कोई क्‍या करे!




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now