छींका-छींक | CHEENKA-CHEENKEKLAVYA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
839 KB
कुल पष्ठ :
35
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हर बार जब वह छींकता तो आसपास के सब खिड़की-दरवाज़े खड़खड़ाकर हिल
जाते थे।
छुटनक्कू खूब हँसा | ज़मीन पर लोटकर, हाथ-पाँव उछाल-उछालकर हँसता रहा |
इतना हँसा कि वह भूल ही गया कि उसके हाथों में अभी भी मिर्च लगी हुई थी।
हँसते-हँसते उसने अपनी ही नाक पर मिर्च वाला हाथ रख दिया |
आक-छीं! आक-छीं! छुटनक्कू भी छींका, आक-छीं। आक-छीं! हर बार जब उसे
छींक आती तो उसका पूरा शरीर हवा में उछल जाता और बम फूटने जैसी आवाज़
आती।
छुटनक्कू और बड़नक्कू एक-दूसरे के सामने इतनी ज़ोर से छींक रहे थे कि
अचानक धड़ाम की आवाज़ आई | सबने देखा कि दोनों के सिर धड़ाम से टकरा गए
थे। इतनी ज़ोर से टकराए कि उनका छींकना ही रुक गया |
छुटनक्कू ने बड़नक्कू की तरफ देखा। बड़नक्कू ने छुटनककू की ओर देखा। वे
एक-दूसरे को इतने मज़ेदार दिख रहे थे कि दोनों को हँसी आ गई | वे इतने झटके
“--+ से हँसे कि फिर से उनकी छींक शुरू
४ हो गई। वे हँसते रहे और छींकते
रहे, हँसते रहे और छींकते रहे |
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