हमें कैसे पता चला माइक्रोवेव के बारे में ? | HOW DID WE KNOW ABOUT MICROWAVES

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आइज़क एसिमोव -Isaac Asimov

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१९३० में ऐसा लग रहा था कि जर्मनी से फिर युद्ध होगा. पर इस बार खतरा हवाई जहाजों से था. अब आवश्यकता थी यह जानने की कि क्या हवाई जहाज रात में या बादलों में छुपे तुम्हारी तरफ आ रहे हैं? सोनार की गति इस काम के लिये बहुत कम थी और इस लिये उसका उपयोग बेकार था. विध्युत-चुम्बकीय विकिरण (इलेक्ट्रो-मैगनेटिक रैडिएरशन) की आवश्यकता थी जो प्रकाश की गति से चले. विकिरण की वेवलेंग्थ भी अधिक नहीं होनी चाहिये वरना वह हवाई जहाज से टकराकर वापस नहीं आयेगा. और वेवलेंग्थ इतनी कम भी नहीं होनी चाहिये कि वह वायुमण्डल को चीरता हुआ हवाई जहाज तक भी न पहुँच सके -- विशेष कर जबकि कोहरा, बादल, या धुंध छायी हो. इस काम के लिये सही पायी गई माइक्रोवेव -- इनकी वेवलेंग्थ न ज्यादा बड़ी न ज्यादा छोटी. अब वैज्ञानिकों को ऐसा उपाय ढूंढ़ना था कि वे माइक्रोवेव की पल्‍स भेज सकें जो हवाई जहाज से टकराकर वापस आये. उन्हें यह भी नापना था कि पल्‍्स को जाकर वापस आने में कितना समय ल्रगता है -- जो कि एक सैकिण्ड का बहुत छोटा सा अंश ही होगा. समय की जानकारी से ही विमान की दूरी का पता लगाया जा सकता है. १९३५ तक ब्रिटिश वैज्ञानिक रॉबर्ट अलैक्जेंडर वाट्सन-वाट (२००९1 /16)<97061 '/४81501-४/४8, १८९२-१९७३) ने एक यंत्र बना डाला. उसका यंत्र ध्वनि की लहरों के बजाय अति-सूक्ष्म रेडियो-वेव का प्रयोग के कारण राडार (१४0५२ -- 1३००० [2616८ट1071 8106 २०॥७1॥06) कहलाया. युद्ध १९३९ में शुरू हुआ. १९४० में जर्मनी के हवाई जहाजों के जत्थे के जत्थे ब्रिटेन पर हमला करने के लिये चल पड़े. इसे ब्रिटेन का युद्ध कहा गया. हालाँकि जर्मनी के पास बहुत सारे हवाई जहाज थे, परन्तु ब्रिटेन के पास राडार था जिससे यह पता लगता रहता था कि जर्मनी के जहाज कब आ रहे हैं और कहां हैं. अंत में, प्रथम विश्व-युद्ध की तरह, दूसरे विश्व-युद्ध में भी जर्मनी की हार हुईं. द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद, राडार और माइक्रोवेव का दिन प्रतिदिन के कामों में उपयोग होने लगा. राडार द्वारा पुलिस गति सीमा का उलंघन करने वाले ड्राइवरों को पकड़ सकती है. राडार द्वारा एयरपोर्ट विमानों का उड़ान के समय अता-पता त्रगा सकते हैं. इस सूचना से विमानों के भू-पट्टी से उड़ने और उतरने का समय निश्चित किया जा सकता है और विमानों को एक-दूसरे से टकराने से रोका जा सकता है. पेज सं. |15




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