कहकहे | KEHKAHE - BGVS

KEHKAHE - BGVS by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaविभिन्न लेखक - Various Authors

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

विभिन्न लेखक - Various Authors

No Information available about विभिन्न लेखक - Various Authors

Add Infomation AboutVarious Authors

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दो नो की माँ उसके छोटे भाई मनु को दवा खिला रही थी। अनु ने माँ से पूछा-माँ तुम मनु को यह किस चीज़ को दवा खिला रही हो। माँ ने कहा-देखती नहीं, मनु को दाँत नहीं है। ये दवा खिलाने से उसे दाँत निकल आएँगे। यह सुन कर अनु ने कहा-माँ तो फिर थोड़ी सी दवा मुझे भी दो। मैं दादी माँ को खिलाऊँगी। माँ ने पूछा-क्यों, दादी माँ को क्यों खिलाओगी ? अनु ने कहा-देखती नहीं ! दादी माँ के भी दाँत नहीं हैं। [11710 प् 17% छा का का | ही री 9. पक] कक जी 1.1 1 जे हक 1. का है श / है ई 2 कफ * शा कक की ग 772 है |] ु है ई॑ बाूँ बा. 3. कक श गा ओ ल्‍ । या एः अंग्रेज की हिन्दुस्तानी बीबी थी। अंग्रेज हिन्दी नहीं जानता ए । इससे उसकी बीबी को फायदा था। पति को जब भी गाली देनी होती, वह हिन्दी में गाली देती । पति तो हिन्दी जानता नहीं था। इसलिए समझ नहीं पाता था। एक दिन बीबी ने अंग्रेज को गधा कहा-अंग्रेज ने पूछा- तुमने मुझे “गधा” क्यों कहा ? यह तो गाली है। बीबी ने कहा- नहीं, नहीं, गधा गाली नहीं है। गधा का मतलब तो है मोटा-ताजा। अंग्रेज न बीबी के बातों पर विश्वास कर लिया। इसी तरह एक दिन बीबी ने अंग्रेज को उल्लू कहा- अंग्रेज ने >




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now