गांधी मार्ग - (नबम्बर -दिसम्बर, 2013) | GANDHI MARG- NOV-DEC 2013

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अनुपम मिश्र -ANUPAM MISHRA

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नवंबर-दिसंबर 2018 15 है। आसपास रहने वाले लोगों की सेहत पर इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इस रिपोर्ट में पिछले 20 सालों में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे पर हुए अन्य पंद्रह अध्ययनों की रिरपो्टों को भी शामिल किया है, जिन्हें गैर सरकारी संस्थाओं के अलावा कुछ सरकारी विभागों ने भी तैयार किया है। मौजूद जहरीले कचरे के रिसाव के कारण भूजल प्रदूषण का दायरा लगातार बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में यह रिसाव कोई 10 किलोमीटर तक भी फैल सकता है। इस सबके बाद भी यदि सरकार कोई कदम न उठाए तो? सेंटर फार साईंस एंड एनवायर्नमेंट संस्था ने अपनी तरफ से एक योजना का प्रारूप तैयार किया है। श्री चंद्रभूषण का कहना है कि इस योजना में बताए गए « जिस गैस ने इतना ज्यादा उपायों से भूजल व मिट्टी के प्रदूषण को काफी कम किया, उसे बनाने वाली हद तक दूर किया जा सकेगा। चीजों का उतना ही जहरीला इस संस्था ने इस मसले पर जुटी सभी बी अभी आ तीस साल बाद संस्थाओं के साथ दिल्ली में भी एक बैठक का. मी आयोजन किया था। इसमें इस बात को ठीक के हित डा जज से समझने वाले अनेक वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों के ने साफ तौर 2 मी है कि साथ यहां की मिट्टी और भूजल को कचरे से यदि अगले पांच वर्षों में इस मुक्त करने और यहां के जहरीले कचरे को कचरे का निपटारा तह शा समाप्त करने और तब से बंद पड़े कारखाने के है तो पूरे इलाके में इसके संयंत्रों और मशीनरी आदि पर विस्तार से चर्चा. परिणाम सामने आएंगे। की गई थी। बैठक में विशेषज्ञों ने माना कि जमीन के अतिए अत जानते एक छोटी-सी जगह पर पड़ा 350 टन कचरा रसायनों का असर से खतरनाक तो इस पूरे प्लांट में मौजूद कचरे का मामूली संक्रमण बढ़ चला है। हिस्सा भर है। सबसे बड़ी चुनौती तो मिट्टी और भूजल को इस कचरे के घातक संक्रमण से मुक्त बनाना है। नागरिकों द्वारा बनाई गई इस योजना में सभी तरह के उपायों को शामिल किया गया है। पहले चरण में कुछ तात्कालिक उपाय बताए गए हैं तो दूसरे चरण में मध्य और लंबी अवधि के उपाय बताए गए हैं। विभिन्‍न संगठनों द्वारा तैयार इन रिपोर्टों में कुछ असमानताएं जरूर हैं, किंतु सभी ने यहां की मिट्टी व पानी में भारी मात्रा में धातुओं को पाया है। पूरे क्षेत्र और यहां बने जलाशय को अधिग्रहण करके उसके चारों ओर तार की बागड़ लगाई जाए ताकि आसपास के मुहल्लों के लोग खासकर बच्चे इस क्षेत्र




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