महाराष्ट्र केसरी शिवाजी का जीवन चरित्र (1914) | Maharastra Kesari Shivaaji Ka Jeevan Charitra (1914)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.59 MB
कुल पष्ठ :
242
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दितीय परिच्छेद ।
मद्दाराष्ट्र में जाखति ।
प्रथस परिच्छेंद में यह बात दिखलाई जा चुकी दै कि
नहाराष्ट्रों में रवतन्त्रता का बीज किसी एक व्यक्ति द्वारा
नहीं दोया गया था किन्तु यह उन में चिरकाल से
स्वाभाविक था । इतिहास से यह वात सिद्ध होती है
कि सहाराष्ट्र बहुत दिनों तक स्वतन्त्र रहे पर छाला-
उद्दीन ख़िलजी के भाध्ठमणकाल से ले कर शिवाजी से
समय तक वे परतन्त्र रहे । पर यदि सूदम दटूष्टि से
दूखा जाय तो उस परतन्त्र अवस्था सें भो श्न्य
रसिजित जातियों से अधिक रवतन्त्रता धारण किये रहे
जिस का उल्लेख समयानुकूल होगा । ऐतिहासिकों को
परम शाइचाययें हुआ था जिस समय उन्होंने महाराष्ट्र
जाति को छभ्यद्य शिवाजी द्वारा देखा । वे अचम्से में हैं .
कि शतादिद्यों पय्यन्त जो जाति परतन्त्रता बे बन्घन
सें बद्ध रही हो हृठात् एक दहत् राज्य को पछाड़ कर
स्वतन्त्रता स्थापित केसे कर सकती है। सहाराष्ट्रों का
इतिहास लिखने वाले ग्रायवट डफ़ तो इतना ही लिख
कर रद गये कि जिस प्रकार वनासि हठात् उत्पन्न हो
जाती है भर अपनी लपटों को इतस्ततः प्रसरित कर देती
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