जातक खंड 1 | Jaatak Khand 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १४ || भन्ते यदि इस दारीर से निकल कर दुसरे शरीर में जाने वाला नहीं है तब तो वह भ्रपने पाप कर्मों से मुक्त हो गया । हाँ महाराज यदि उसका फिर जन्म नहीं हो तो शझ्लबत्ता वह पापकर्मों से मुक्त हो गया भर यदि वह फिर जन्म ग्रहण करे तो मुक्त नहीं हुआ 1 कृपया उपमा देकर समकावें । महाराज यदि कोई श्रादमी किसी दूसरे का झ्राम चुरा ले तो दण्ड का भागी होगा या नहीं ? हाँ भन्ते होगा । महाराज उस झाम को तो उसने रोपा नहीं था जिसे इसने लिया फिर दण्ड का भागी केसे होगा ? भन्ते उसके रोप हुए श्राम से ही यह भी पैदा हुआ इसलिए वह दण्ड का भागी होगा । महाराज इसी तरह एक पुरुष इस नामरूप से अच्छे बुरे कर्म करता है । उत कर्मों के प्रभाव से दूसरा नामरूप जन्म लेता है । इसलिए वह अपने पाप कर्मों से मुक्त नहीं हुआ । भन्ते झ्रापने ठीक समभाया 1 जब तक मनुष्य की अविद्या-तृष्णा का ना नहीं होता तब तक उसका. अ्रच्छा बुरा कमें ही उसका सब कुछ है । भगवान्‌ का उपदेश है--भिक्षुप्नो सभी को इस बात पर सदा मनन करना चाहिए कि मेरा जो कुछ भी है कर्म ही है कमें ही दायाद है कमं ही से उत्पत्ति है कमं ही बन्धू है कम ही दारण- स्थान है जो में अच्छा बुरा कमं करूँगा उसका में उत्तराधिकारी होऊंगा भिक्षु जगदीदा कादयप कृत सिलिन्द-प्रदन का हिन्दी श्रनुवाद ( ३-२-१३ दे-र-१६) । कम्मस्सकोम्हि कम्मदायादो कस्मयोनि कम्मबन्ध कम्मपटिसरणों य॑ कस्म॑ करिस्सामि कल्याणं वा पापकं वा तस्स दायादों भविस्सामीति श्रभिण्हं पच्चवेक्खितब्बं गहट्ठेन वा पब्बजितेन वा (श्रंगूत्तर निकाय एंचक निपात द्वितीय पण्णासक प्रथम वर्ग सातवाँ सूत्र ) ।




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