मानव - जीवन का विधान | Manav Jivan Ka Vidhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है की इसके बताये हुए ज्ञीवन-सम्बन्धों नियमा में चढ़े ही संयम से काम लिया गया हैं । नीति की न्य पुस्तकों में प्रायः यदद चात देखी जाती है कि लेखक श्पनी परिस्थितियों '्रार घपने समय की श्रावश्यकताओं पर दृष्टि रख कर लिखते हैं, पर यह ग्रात इस पुस्तक में यिलकुल नहीं पाई जाती । इसके लेसक की इष्टि बड़ी डिस्वृत है । वह सब युगों को पक समान देखती है । लेग्यक ने झपने समय के विपय में रत्ती भर मी पक्षपात से काम नहीं लिया, 'ार य्यक्तिगत बातों को लेशमात्र भी थीच सें घुसने नहीं दिया । उसने किसी विशेष जन-समुदाय था देश की परिस्थिति पर ध्यान नहीं दिया । इसी से उसकी यह पुस्तक प्रत्येक युग श्रार प्रत्येक जाति के लिए पथ-त्रदर्शक का फाम दें सकती हैं । यहीं इसकी सबसे बड़ी विशेषता ऐं 1 यह कहना ठीक न हागा कि इस पुस्तक मे जीवन-सम्बन्धी सभी विपयों पर पूरी पूरी व्यवस्था मौजूद है; क्योंकि ऐसी समस्याधों पर




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