हिंदी - कोविद - रत्नमाला | Hindi Kovid Ratna Mala
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.46 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( हे ) कारण राजा शिवप्रसाद ने वह सेवा और भक्ति की कि जा उनके जाननेवाले सब पुरुषो पर विदित है । हजरत सब के बुरे बने पर भ्रेंगरेजो का पक्ष सिवाहा । इनका सतब्य था जिसका खाना उसका गाना ।? शिमले से झ्रा कर राजा साहिब ने कुछ दिन काशी में कसिश्नर साहिब के मीरमु शी का काम किया परतु विद्या-विषयक रुचि के अनुसार सरकार ने उन्हे स्कूलों का इंसप्रेक्द्जननियत कर दिया | ब्पनी इंसपेकरी मे राजा साहिब ने माठभाषा हिंदी का जा उपकार किया उसके लिए हिदी बालनेवालोा को उनका कृतज्ञ होना चाहिए । उस समय शिक्षा-विभाग मे मुसलमाना का प्राबल्य था ओर वे चाहते थे कि हिंदी का पठन पाठन ही उठा दिया जाय केवल उदू फारसी रहे । भेंगरेज भी इस विषय में सहमत थे । क्योकि हिदी मे तब तक कतई ऐसी पुस्तकें न थी जा स्कूलों मे पढ़ाइ जा सके । परतु राजा साहिब ने हिदी का पक्ष प्रतिपालन किया और स्वय उसमे अनेक भन््थ रच कर उक्त झ्रभाव को दूर किया ओर भाषा की शिक्षा को स्थिर रकक््खा । उन्होंने साहित्य व्याकरण भूगोल इतिहास झादि विषयों पर सब मिला कर कोइ ३५ पुस्तक लिखी | आप बाबू हरि- श्चद्र के विद्या-गुरु थे । सन् १८७२ ई० मे उन्हे सी० एस० आई की उपाधि मिली आर सन् १८८७ मे वशपरम्परा के लिए राजा की पदवी प्राप्त हुई । आपका देहात ता०२३ मइ सन १८५ को काशी में हुआ |
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