जीने का राज | Jeene Ka Raz
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सकते थे। उसके साथ रहने से उनकी प्रतिष्ठा भी जमी रहती थी, क्योंकि
सभी जानते थे कि ये अनुराग के बचपन के साथी हैं। अनुराग के प्रति मित्रता
होने से इन सभी दोस्तों की उच्छुंखलता भी छिपी रहती थी, इनकी बुराईयों
पर पर्दा डाला रहता था। कोई उन पर जल्दी से अंगुली नहीं उठा पाता था
और यह भी एक कारण था कि ये चारों दोस्त जिन्दगी के लक्ष्य से दूर भर्टकते
जा रहे थे। वैश्यागमन व सुरापान करने का शौक भी अब इन्हें लगने लगा
था। अनुराग को भी वे अपने अनुरूप ढाल लेना चाहते थे। लेकिन वे जानते
थे अनुराग जल्दी से हमारी पकड़ में आने वाला नहीं है। फिर भी उसे कैचअप
(2४४०४ ५.) तो करना ही है। रुपये पैसे की तो उनके पास कोई कमी थी
नहीं | प्रतिदिन 100-120 रुपये का तो ये लोग यूं ही धुंआ कर देते थे।
जबकि अनुराग को डैली (019) खर्च के लिए 5-7 रुपये भी कभी मिलते
कभी नहीं। फिर भी अनुराग मितव्ययी स्वभाव के कारण बड़ी प्रसन्नता के
साथ अपनी कॉलेज लाईफ (168) व्यतीत कर रहा था।
अरे ए अनुराग ! कालेज से छूटते ही तूं इतनी जल्दी कहां भाग रहा
है ? अपने हाथों में डायरी व एक पुस्तक लिए पारस ने जाते हुए अनुराग
को रोककर पूछा।
भाग तो नहीं रहा हूं पर हां छुट्टी हो गई है तो अब घर जाना ही है,
मम्मी इन्तजार कर रही होगी। अनुराग ने जल्दी से उत्तर दिया।
मम्मी इन्तजार कर रही होगी ये तो ठीक है,पर जरा 2-4 मिनिटं रुक
गया तो क्या हो जाएगा ? हम भी तो तेरे दोस्त हैं, इस तरह जब देखो तब
तूं अकेला ही क्यों मागता है। घर तो वहीं का वहीं है, तेरे को छोड़कर कहीं
भागेगा नहीं। तू थोड़ी देर तो हमारे साथ ही रहा कर | पूरे दिन कॉलेज में
भी तूं एक पीरियड मिस नहीं करता, जिससे कि एकाध पीरियड (?९॥100)
अपन थोड़ा मनोविनोद कर सके | पारस ने अपनी बात कही तब तक जयेश,
कमल, राजीव, अमिताम आदि भी उसके पास आकर खड़े हो गए।
जयेश ने कहा- हां अनुराग, आज तो तुम्हें हमारे साथ होटल में
चलना पड़ेगा। साधना होटल अभी नई-नई खुली है। आज वहीं चलेंगे।
आज तो चलेंगे ही सही। राजीव ने भी समर्थन दिया पर मैं आज नहीं चल
सकता, फिर कभी........ | अनुराग ने उन्हें टालते हुए कहा।
“पर क्यों” ऐसा नहीं हो सकता ? आखिर तुम हमेशा हमें टालते क्यों
हो ? सभी एक साथ बोले ।
(27)
User Reviews
No Reviews | Add Yours...