सांख्य - दर्शन | Sankhya Darshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
67 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)षा टोका द पु | ०:
प्रथमोउ्ध्याय:
प्र<--मनुष्य-जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या है !
उ०--अ्रथ त्रिविधदुःखात्यन्त-निव त्तिरत्यन्तपुरुषा्: ॥ १ ॥
रा थ--तीन प्रकार के दुःखों का अत्यन्ताभाव हो जाना प्राणीमात्र 2 है
_, का मुख्य उद्देश्य हैं। दा लक
. : प्र०-तीन प्रकार के कौन से दुःख हैं ?
उ०--आध्यात्मिक, आधिभौतिक और आधिदविक |
प्र>-आध्यात्मिक द:ःख किसको कहते हैं ? हा
... उ०--जो दुःख दारीरान्तर में उत्पन्न हो, जैसे--ईष्या, द्वष,
लोभ, मोह, बलेग' रोगादि ह कक 5
.. प्र०--आधिभौतिक दुःख किसे कहते पा .
. उ०>जो श्रम्य प्राणियों के संसर्ग से उत्पन्न, हो, जैसे--सर्प के _
_ $ काटने या सिंह से मारे जाने था मनुष्यों के परस्पर युद्ध से जो दुःख
... उपस्थित हो, उसे श्राधिभौतिक कहते हैं। हम
... प्र०>-आपधिदेविक दुःख किसको कहते ५. आम
.... उ०--जो दुःख देवी शक्तियों अर्थात् श्रस्नि, वायु या जल के
.. न्यूनाधिक्य से उपस्थित हों, उनको आधिदंविक कहते हैं का 3,
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