सांख्य - दर्शन | Sankhya Darshan

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Sankhya Darshan by स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती Swami Darshananand Sarswti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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षा टोका द पु | ०: प्रथमोउ्ध्याय: प्र<--मनुष्य-जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या है ! उ०--अ्रथ त्रिविधदुःखात्यन्त-निव त्तिरत्यन्तपुरुषा्: ॥ १ ॥ रा थ--तीन प्रकार के दुःखों का अत्यन्ताभाव हो जाना प्राणीमात्र 2 है _, का मुख्य उद्देश्य हैं। दा लक . : प्र०-तीन प्रकार के कौन से दुःख हैं ? उ०--आध्यात्मिक, आधिभौतिक और आधिदविक | प्र>-आध्यात्मिक द:ःख किसको कहते हैं ? हा ... उ०--जो दुःख दारीरान्तर में उत्पन्न हो, जैसे--ईष्या, द्वष, लोभ, मोह, बलेग' रोगादि ह कक 5 .. प्र०--आधिभौतिक दुःख किसे कहते पा . . उ०>जो श्रम्य प्राणियों के संसर्ग से उत्पन्न, हो, जैसे--सर्प के _ _ $ काटने या सिंह से मारे जाने था मनुष्यों के परस्पर युद्ध से जो दुःख ... उपस्थित हो, उसे श्राधिभौतिक कहते हैं। हम ... प्र०>-आपधिदेविक दुःख किसको कहते ५. आम .... उ०--जो दुःख देवी शक्तियों अर्थात्‌ श्रस्नि, वायु या जल के .. न्यूनाधिक्य से उपस्थित हों, उनको आधिदंविक कहते हैं का 3, | ४ ः पे मी हु | ् ः पा + ही 5




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