वंश भास्कर | Vansh Bhaskar

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Vansh Bhaskar by सूर्यमल्ल - Sooryamall

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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. सॉलंखीश्युथज्ञष | तृतीयराशि--तृतीयमयूख . (५२९ ) दही स्कगाह वास करक जत्ञ, & ज्ञुत कर अपसब्धय ॥ ऋत्वज दाकखन जानु ४. मूप वरन कय मठ्य ॥ ३३ ॥ वहा १ का थमा बस्था, इम काह पथ ७ आक्षधानः ॥ भारहाज सगात्र मं, बरत तुम्दे वधिथान ॥ १४७ ॥ प्रट १ गज२ रु काशय पट ३, सप्ति 8 समार जवज्ञ ॥ दाज 'जाह बिच दाच्छ नाम बरचत वह यज्ञ ॥ १७ ॥ तत्थ बिरचन थान तुम, ख्रष्टा १ €विहु स्वा।मे ॥ इम सुनि चाठुक अथना, भाख्यो हिजहु भवीमि ॥ १६ ॥ पटपदा उद्घाता 9 होती ३ रु तंदनु अध्वय्यु 9 बरे मुनि ॥ तदनु ब्राह्मणाच्छासणतदनु प्रस्तोता६का पाने ॥ वार नप मत्राबरुस ७ तदनु प्रातंप्रस्थाता ८ कार ॥ पोर्ता ९ प्रातिहतों १० बहोरि अच्छाबीकस ११ बरि॥ _. नष्टाश श्गाग्नीध्रं१३४६ बारे तदनु सुत्रह्मग॒य १४ह पृथु बा रेय ॥' बार ग्रानस्तोीता१७माने वहारे उन्नेत1१६बर णी कॉरेय ॥१७॥ १ स्फिंग (डांडी का मसल भाग) ही ९ कमल ३ दाहिने हाथ से ४ घुटन को ऋूकर १, शुभ ५ तास ( राजा पथधु न इस प्रकार नाम. कह कर पहले सब बेदों को जाननेच्राल प्रथम ऋत्चिज ब्रह्मा को वरा ) ७ ब्रह्मा की जगह, ८ सोना ४ रंशमा वस्त्र ११ पवन के वेग को जाननेवाले १० घोड़े .१२ यहाँ बच्या के ' स्थान पर है स्वासी तुम १३ चछ्या हाॉओआ. १४ इस प्रकार चलक्य राजा को याचना खुन. कर १५ होगा. !६ ब्रह्मा को वर पीछे सामवेद के प्रथम ऋ- ' त्विज का १७ ऋ वेद के एसरे ऋआत्विज़ को १८ 1जस पाछ २६ यजुषद के दूसरे ऋत्विज़ को २० सब चेंदों को जानमेवाल दूसरे ऋषत्विज को २१ सा- मब्रेद के तीसरे ऋंत्विज को २२ ऋग्वेद के चौथे ऋत्विज को २३ यपजुचेंद के चाये ऋत्विज, को २४ सब वेदों को जाननवाले तीसरे ऋतपिज को २७ सा- सबद के दूसरे ऋात्वज्ञ क। *६ ऋग्वेद के त|सर ऋात्वज को २७ यजुबद के प्रवम ऋात्यज को ९२८ सब बद्ा को जानसवबाल चाथे ऋात्वज को वर कर जस पीछ २९ सामचेद कं-चोथ ऋफात्वज की राजा एधु ने बरा आर ३१० ऋ- श्चंद्‌ के प्रथम कात्यज का बर कर फिर ६११ सजुबद रे ताखर कखात्वज की




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