समयसुन्दर - कृति - कुसुमजली ए सी 5346 | Samaysundra Kriti Kusumajali Ac 5346
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.66 MB
कुल पष्ठ :
797
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
हजारीप्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म श्रावण शुक्ल एकादशी संवत् 1964 तदनुसार 19 अगस्त 1907 ई० को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के 'आरत दुबे का छपरा', ओझवलिया नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अनमोल द्विवेदी और माता का नाम श्रीमती ज्योतिष्मती था। इनका परिवार ज्योतिष विद्या के लिए प्रसिद्ध था। इनके पिता पं॰ अनमोल द्विवेदी संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। द्विवेदी जी के बचपन का नाम वैद्यनाथ द्विवेदी था।
द्विवेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में ही हुई। उन्होंने 1920 में वसरियापुर के मिडिल स्कूल स
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( श४
कविबर के प्रगुरु अकबर श्रतिबोघक युगम घान श्रीजिनचन्द्र-
सूरि थे । कविवर के प्रसज्ञ से दी उनका संक्षिप्त परिचय पहले
लिखा गया जो बढ़ते बढ़ते ४५० प्रष्ठों के मदत्त्वपूण धन्य के
रूप में बरिखित हो गया । शताधिक मन्थों के आधार से हमारा
यह सर्वेप्रथम विशिष्ट ग्रन्थ लिखा गया, उखक[ श्रेय भी कजिवर
को द्दी दे । इस ग्रन्थ में विद्तू शिष्य समुदाय नामक प्रकरण
में कबिवर का भी परेचय दिया गया था । उसी के साथ-साथ हमारा
दूसरा बृद्ददू प्रन्य 'ऐतिदाखिक जेन काव्य सप्रह” छुपना प्रारम्भ
हुआ, जिसमें कविवर के जीवन सम्बन्धी उपयुक्त तीनों गीत
प्रकाशित किये गये |
कविवर ने अपनी लघु रचनाओं का संप्रद स्वयं दो करना
प्रारम्भ कर दिया था । क्योंकि वेखी रचनाथओं की संख्या लगभग
एक हजार के पास पहुंच चुकी होगी । शत: उनका व्यबस्थित
संकलन किये बिना इन फुटकर छोर बिखरी हुई रचनाओं का
उपयोग श्र संरक्षण होना बहुत दी कठिन था । हमें उनके सवय
के हाथ के लिखे हुए कई सकलन प्राप्त हुए हैं झौर कई संकलनों
की नकलें भी प्राप्त हुई हैं, जिनसे उन्होंने समय-समय पर
अपनी लघु रचनाओं का किस प्रकार सकुलन किया था उसकी
महत्वपूणणों जानकारी मिलती है । उनके किये हुए कतिपय संकलनों
का विवरण इस प्रकार है--
छत्तीस की संख्या तो इन्हें बहुत अधिक प्रिय प्रतीत होती हे।
समा छुत्तीसी, कमछत्तोसी, पुरय छत्तीसी, सन्तोष छत्तीसी,
आलोयण छत्तीसी श्रादि स्वतंत्र छुत्तीसियां प्राप्त होने के
साथ-साथ निम्नोक्त सकलित छत्तीसियां विशेष रूप से
उल्लेखनीय है :---
१, घ्रपद् छत्तीसी--इसमें छाटे छोटे छत्तीस पद जो राग-
रागनियों में हे, उनका संकलन किया गया है। यद्यपि इसने
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