आने वाला कल | Aane Wala Kal

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Aane Wala Kal by लक्ष्मीनारायण लाल -Laxminarayan Lal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ हो #आपको याद है--हमारी पहली सुलाकावरइटआफो रू पहला अक कहा था। टली 30० थे प्रिया ने उदास स्वरो से पूछा, “क्या फिर ली पट “हो सकता है क्या, होता है 1” बढ कसे पा “सच्चाई है जहा--जो छिपा है, घट चुका है जो, जब वह इतना सच्चा है--तो वही तो प्रेम है ।” “आप मुझसे भ्रेम करते हैं. ?” “आपको क्या लगता है २7/ “मैं उसे अपने कानो से सुनना चाहती हू । उसे अपनी आखो से देखना चाहती हू । उसे अभी इसी क्षण भोगना चाहती हू 1” यह कहती हुई प्रिया पाथ की बाहो मे लिपट गई। पाथ उसे गहरे आलिगन मे बाधे रहा 1 “तुम मेरी पहली प्रिया हो !”? उसने पाथ के माथे को चूमते हुए बहा, “मैं दुसरी हु--यह सुनते मे मेरा कोई अपमान नही 1” “मेरी प्रिया ।!” दोना न जान क्तिनी देर तक चुपचाप एक-दूसरे को महसूस करते रहे थे। दोनो एक दूसरे से इृतन थे 1” प्रिया ने बच्चो की तरह पूछा, “तुम्ह तुम्हारी पत्नी बी याद आई ?” >आई।” “मं क्तिनी खुश हू 17 फिर मौन छा गया । बडे सक्षोच के साथ पाथ ने पूछा, “तुम्हें उसकी याद आई २7 + आई । अब भी उसी की याद आ रही है । “क्या २! बहू झूठ क्यो बोला ?े छत क्या किया मेरे साथ? बह मुझे पहले ही सब सच बता सवता था।* “उसे भय था।” 5




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