तीन एकान्त | Teen Ekant
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ :
1 MB
कुल पृष्ठ :
78
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
Book Removed Due to DMCA
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटी है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उससे तकलीफ का बोझ कम नहीं कहर लेक्नि'आमरेवसे/फती, के
सामान की तरह एक कंघे से उठाकर दूसरे पर्स: देते हैं+यह क्या
कम राहत है ? मैं तो ऐसा ही करती हैं--सुबह से ही-अपने कमरे से धाहरे।|
निकल आती हूँ। (बूढ़ा खाँतता-सा पुनः उसके साथ आकर बठ जाता
है।) नहीं-नहीं-आप गूलत न समझें-मुझे कोई तकलीफ नहीं। मैं
घूप की खातिर यहाँ आती हूँ--आपने देखा होगा, सारे पार्क में सिर्फ़ यह
एक बेंच है, जो पेड़ के नीचे नहीं है ।,इस बेंच पर एक पत्ता भी नहीं
झरता-फिर उसका एक बडा फायदा यह भी है कि यहाँ से मैं सी घे गिरजे
की तरफ़ देख सकती हँ--लेकिन यह शायद मैं आपसे पहले ही कह चुकी
हूंए। १1 _1॥2)8 .- 8
ट्पः
आप सचमुच सौमाग्यशाली है। देन यहाँ आये-और सामने
घोड़ा-गाड़ी।॥ आप देखते रहिये-कूछ ही देर में गिरजे के सामने
छोटी-सी भीड़ जमा हो जायेगी । उनमें से ज़्यादातर लोग ऐसे होते हैं, जो
न वर को जानते हैं, न वधू को । लेकिन एक झलक पाने के लिए घंटों
बाहर घड़े रहते हैं | आपके बारे में मुझे मालूम नहीं, लेकिन कूछ चीजों
को देखने की उत्सुकता जीवन-भर खत्म नहीं होती । (उठकर पररेस्बुलेटर
के मीतर झाँकने लगती है 1) अब देखिये, आप इस पैरेम्नुलेटर के आगे
बैठे थे । पहली इच्छा यह हुई, झौंककर भीतर देखूँ, जैसे आपका बच्चा
औरों से अलग होगा । अलग होता नहीं । इस उम्र में सारे बच्चे एक जैसे
ही होते हैं-भुँह में चुसनी दबाये लेटे रहते हैं। फिर भी जब मैं किसी
पैरेम्बुलेटर के सामने से गुजरती हैँ, तो एक बार भीतर झौंकने की
जुबरदस्त इच्छा होती है क्योंकि जो चीजें हमेशा एक जैसी रहती हैं,
उनसे ऊबने की बजाय आदमी सबसे ज़्यादा उन्हीं को देखना चाहता है,
जैसे प्रैम में लेटे बच्चे यानव-विवाहित जोडे की घोड़ा-गाड़ी या मुर्दों
की अरथी । आपने देखा होगा, ऐसी चीजों के इर्द-गिर्द हमेशा भीड़ जमा
हो जाती है। अपना बस हो या न हो, ख़ुद-ब-ख़ुद उनके पास घिचे चले
् तीन एकान्त/ 23
User Reviews
No Reviews | Add Yours...