किस्मत का खिलाड़ी | Kismat Ka Khiladi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)किस्मत का खिलाड़ी / २१
वी शोर ही चलना है ।'
सवेरा हो गया । सरोवर के पास राजा नित्यकर्म से
नियृत्त हुपा । सवार हो गया घोड़े पर | चार दिन तक बड़ी
तीव्रगति से घोड़ा दौट़ाया | सौ योजन पूरे हो गये । एक सघन
गुन्दर बन में पहुंच गया राजा | एक वटवृक्ष के नीचे घोड़े को
'बाँध दिया भ्रौर स्वयं भी बैठकर सोचने लगा--यहां तक तो
भ्रा गया । पर यहा तो कोई नहीं है । यह पहाड़ कितना ऊँचा
है। यहाँ पया फोई रहता होगा ? प्रव तो यहाँ कोई नहीं
| है ।” यों सोचते-सोचते राजा का ध्यान एक झोर गया | उघर
वापी फे पास एक स्त्री बेठी थी । कुतूहूलयश राजा उस स्त्री
| के पास पहुंच गया श्लौर बोला--
“कौन हो तुम ? दुःख की मारी लगती हो ? किसी
साथ से विछुड्ट गई हो बया ? ऐसे बड़े बन में तुम्हें भ्रकेला
' देखकर मुझे बड़ा भ्राश्वयं होता है 1
ह रप्री मे धपने भ्रोठों पर तर्जनी ऊंगली रख कर राजा
फो संकेत दिया कि बोलो मत । चुप रहो । फिर पर्वत की
' प्रोर हाथ उठाकर पुनः संकेत से समझाया कि इधर से खतरा
है। स्त्री के बजने पर राजा मौन तो हो गया, पर उसके मन
' में धतृप्त जिशासा फी बेचेनो बढ़ गई । भव वह धभपने मन से
' ही प्रश्न करने लगा भौर उस स्प्री के विपय में तरह-तरह वे
' प्रयुभान जगाने तगा । कुछ ही देर बीती कि पहाड़ सो घोर
: घड़ी जोर फा धट्टहास हुआ । घव पघनचाहे ही वापी के पास
बेटो री के मुंह से ये शब्द एडाएवन निकल पढ़ें--
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