नारी अंकी | Nari Anki
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
64.69 MB
कुल पष्ठ :
884
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पृष्ठ-संख्या
द४-त्रह्माजीके सम्मुख सरखतीका नदीरूपमें प्रकट
होना डर सना कु
६५-घ्रह्माजीके साथ यज्ञमें गायन्नीको बेठी देख
सावित्नीका क्षोभ हम *** ४०
६६-अदितिको भगवान् भास्करका दर्गन... *** 5४२
६७-भुवनेदवरीदेवीका गाचीकों वरदान देना **” द४५
६८-देवी कात्यायनी कक *** इुड
६९-मनु और दातरूपाकों सीतासहित भगवान्
श्रीरामका ददयंन कक *** इ ४७
७०न-पती देवहूतिका अपने पतिसे संतानके लिये
प्रार्थना करना ह०* * ३५०
७१-तपस्विनी कुमारी सन्ध्याको भगवान् विप्णुका
दर्शन देना कुक *** ३५१
७२-सती अरुन्धतीका अपने सतोत्वके प्रभावसे
घड़ेको भरना और सूर्य; इन्द्र एव अग्निका
नतमस्तक होना कम * ३५४
७३-महर्षि वतिष्ठके द्वारा संवरण और तपतीका
विवाद-संस्कार कर *** ३५७
७४-गार्गी ओर याज्वस्वयका शास्रार्थ *** ३५९
७५-याज्वल्क्यका मेत्रेयीकों उपदेग *** ३६०
७६-घ्रह्मज्ञानिनी सुलभाके साथ राजपिं जनककी
परमार्थ-चर्चा शटि ” ३६१
७७-चूडालाका मह्पि-वेपमं आकर अपने पति
गिखिध्वजको ज्ञान प्रदान करना *** ३६३
७८-मेनाकी गोदमें पार्वती *** *** ३६५
७९-सावित्रीका अपने पिता और नारदजीसे
यात्राका छृत्तान्त सुनाना *** ३६६
८०-पतिको ठौटानेके लिये आयी हुई सावित्रीको
घर्मराजका वरदान... ”** ** ३६९
८ १-लोपामुद्राके द्वारा अपने माता-पिताकी
चिन्ताका निवारण केश *** ३७१
८र२-अनवयूयाका सीताको सतीघमका उपदेश *** ३८१
८३-माण्डव्यके शापसे व्यथित हुई झाण्डिलीका सूय-
की गतिको रोक देना ** ३८
८'४-सती प्रातिथेयीका पतिके लिये शोक *** ३८५
८५-मदालसाका अपने पुर्नोको उपदेश न्स्ण््ड्ट्र
८६-राजकुमार अवीक्षितके द्वारा तपस्विनी
वेद्यालिनीकी रक्षा कक *** दर
( ११ )
श््च
८७-सती घेव्याका अपने चिन्तायन पतिदो
आश्वासन देना कर कर
८८-दमयन्तीका नलके लिये हमको सदेश देना ***
८९-दमयन्तीके वापने व्याघवी मृत्यु रेफर
९०-नल और दमयन्तीकी बातचीत्त तथा चाउदेयफ
द्वारा दमयन्तीकी झुद्धिका समर्थन अर
९१-|ुनीति और श्रुच कम क
९२-छुकन्याद्यारा अपने पिता दडार्यातिकें भ्रमरा
निवारण भर
९३-दाकुन्तलाके पु्रकी ठिंद् बावकोंरि साथ मीरा
९४-राजा थाहुदेव और डनरयी रानीके द्वारा रती
चिन्ताकी दयनीय दरार निरीनण मगर
९५-ीरामका कोगत्यासे वनमें जाने
मॉगना ०००
९६-सुमित्राका लदइमणको रामकी रेवारे लिये बनें
जानेका आदेग देना भर
७-केफेयीके द्वारा रघ-सचालन और अनुरोस शुप
९८-श्नरीरामका को सान्त्वना देना कक
९९-घनुयन ओर माता छुनयनारी चिन्ता *”*
१० ०-सखीफे साथ उद्यानमें बेटी हट सीतारा दुर-
पन्नीके सखसे श्रीराम गया श्रवण फरना
१० १-सीताका रामचन्द्रजीदों जपमाऊ पटनाना
१० २-चित्रकूटके आ अममें सीताऊे दाग शीसानाप
जीकी चरणलेत्रा शु कक
१० इ-सती गीलाके द्वारा पातिका समादर रे
१०४-मन्त्रिक्या चिस्याका सोये हुए रासऊमार
चन्द्रदावके पासते परत लेकर पटना कं
१०५-दूतके रखने पतियों सृत्युवा समाचार रुनरर
च्राह्मणीका प्रागत्याग ”** भ
१०६-आत्रेयीका नदीरूप होर पनिरे उप
स्वभावक्सा चच्ते शान्त चरना ”*” थे
१०७-सती >नावतीन अपने डोनें चर जाडर
अतिधिरुपमें पाये हुए, उन्द्रफे लिये फल पराना
१०८-सती मगलाग्ताऊे दास
पुनर्जीवन
पारा
भट्ट
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ड्न् न बकग्फे के का... काग्याग अ्ककापालला >फ झयर कुल भरना का
१०९-दादिकलाकि साथ नुदशनरा धय्यरा रन इ४
१ ६०-भक्तिमती अम्द
#- जनक हि लव
सेप पर्मं
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