नारी अंकी | Nari Anki

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Nari Anki by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पृष्ठ-संख्या द४-त्रह्माजीके सम्मुख सरखतीका नदीरूपमें प्रकट होना डर सना कु ६५-घ्रह्माजीके साथ यज्ञमें गायन्नीको बेठी देख सावित्नीका क्षोभ हम *** ४० ६६-अदितिको भगवान्‌ भास्करका दर्गन... *** 5४२ ६७-भुवनेदवरीदेवीका गाचीकों वरदान देना **” द४५ ६८-देवी कात्यायनी कक *** इुड ६९-मनु और दातरूपाकों सीतासहित भगवान्‌ श्रीरामका ददयंन कक *** इ ४७ ७०न-पती देवहूतिका अपने पतिसे संतानके लिये प्रार्थना करना ह०* * ३५० ७१-तपस्विनी कुमारी सन्ध्याको भगवान्‌ विप्णुका दर्शन देना कुक *** ३५१ ७२-सती अरुन्धतीका अपने सतोत्वके प्रभावसे घड़ेको भरना और सूर्य; इन्द्र एव अग्निका नतमस्तक होना कम * ३५४ ७३-महर्षि वतिष्ठके द्वारा संवरण और तपतीका विवाद-संस्कार कर *** ३५७ ७४-गार्गी ओर याज्वस्वयका शास्रार्थ *** ३५९ ७५-याज्वल्क्यका मेत्रेयीकों उपदेग *** ३६० ७६-घ्रह्मज्ञानिनी सुलभाके साथ राजपिं जनककी परमार्थ-चर्चा शटि ” ३६१ ७७-चूडालाका मह्पि-वेपमं आकर अपने पति गिखिध्वजको ज्ञान प्रदान करना *** ३६३ ७८-मेनाकी गोदमें पार्वती *** *** ३६५ ७९-सावित्रीका अपने पिता और नारदजीसे यात्राका छृत्तान्त सुनाना *** ३६६ ८०-पतिको ठौटानेके लिये आयी हुई सावित्रीको घर्मराजका वरदान... ”** ** ३६९ ८ १-लोपामुद्राके द्वारा अपने माता-पिताकी चिन्ताका निवारण केश *** ३७१ ८र२-अनवयूयाका सीताको सतीघमका उपदेश *** ३८१ ८३-माण्डव्यके शापसे व्यथित हुई झाण्डिलीका सूय- की गतिको रोक देना ** ३८ ८'४-सती प्रातिथेयीका पतिके लिये शोक *** ३८५ ८५-मदालसाका अपने पुर्नोको उपदेश न्स्ण््ड्ट्र ८६-राजकुमार अवीक्षितके द्वारा तपस्विनी वेद्यालिनीकी रक्षा कक *** दर ( ११ ) श््च ८७-सती घेव्याका अपने चिन्तायन पतिदो आश्वासन देना कर कर ८८-दमयन्तीका नलके लिये हमको सदेश देना *** ८९-दमयन्तीके वापने व्याघवी मृत्यु रेफर ९०-नल और दमयन्तीकी बातचीत्त तथा चाउदेयफ द्वारा दमयन्तीकी झुद्धिका समर्थन अर ९१-|ुनीति और श्रुच कम क ९२-छुकन्याद्यारा अपने पिता दडार्यातिकें भ्रमरा निवारण भर ९३-दाकुन्तलाके पु्रकी ठिंद् बावकोंरि साथ मीरा ९४-राजा थाहुदेव और डनरयी रानीके द्वारा रती चिन्ताकी दयनीय दरार निरीनण मगर ९५-ीरामका कोगत्यासे वनमें जाने मॉगना ००० ९६-सुमित्राका लदइमणको रामकी रेवारे लिये बनें जानेका आदेग देना भर ७-केफेयीके द्वारा रघ-सचालन और अनुरोस शुप ९८-श्नरीरामका को सान्त्वना देना कक ९९-घनुयन ओर माता छुनयनारी चिन्ता *”* १० ०-सखीफे साथ उद्यानमें बेटी हट सीतारा दुर- पन्नीके सखसे श्रीराम गया श्रवण फरना १० १-सीताका रामचन्द्रजीदों जपमाऊ पटनाना १० २-चित्रकूटके आ अममें सीताऊे दाग शीसानाप जीकी चरणलेत्रा शु कक १० इ-सती गीलाके द्वारा पातिका समादर रे १०४-मन्त्रिक्या चिस्याका सोये हुए रासऊमार चन्द्रदावके पासते परत लेकर पटना कं १०५-दूतके रखने पतियों सृत्युवा समाचार रुनरर च्राह्मणीका प्रागत्याग ”** भ १०६-आत्रेयीका नदीरूप होर पनिरे उप स्वभावक्सा चच्ते शान्त चरना ”*” थे १०७-सती >नावतीन अपने डोनें चर जाडर अतिधिरुपमें पाये हुए, उन्द्रफे लिये फल पराना १०८-सती मगलाग्ताऊे दास पुनर्जीवन पारा भट्ट रेड 'टए टू शर दो प्‌ इए हि ड्न् न बकग्फे के का... काग्याग अ्ककापालला >फ झयर कुल भरना का १०९-दादिकलाकि साथ नुदशनरा धय्यरा रन इ४ १ ६०-भक्तिमती अम्द #- जनक हि लव सेप पर्मं




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now