राणा राज सिंह | Rana Raj Singh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.13 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मस्तावना
ने
मानव स्वभाव
मानव स्वभावतः एक सामाजिक प्राणी है। वद्द जो कुछ
देखता है; कल्पना या झनुभव करता है; उसे झन्य पर, अपने
निकट सहयोगी पर प्रकट किये बिना शान्ति लाभ नहीं करता;
इसे चेन नहीं पड़ता ! सचुष्य की कल्पना, विचार तथा अनुभव
इसीलिये जन्म घारण करते हैं. कि वे सपा के मस्तिष्क तथा हृदय
से झाविभू त होकर सहदय श्रोताओं तथा दशकों के हृदय को
रस शावित कर सकें । इसी मानव प्रकृति से काव्य, नाटक,
ाख्यायिका तथा उपन्यास आदि का जन्म होता दे ।
मनुष्य अपनी बात को दूसरों पर इंगितो ( संकेत ) या भाषा
( वातचीत ) द्वारा प्रकट करता है । झौर कभी-कभी चह्द इनके
अतिरिक्त भी, वदद किसी का झननुकरण या श्मिनय करके भी
छापने मन की वात दूसरों को सुनाता है । इसमे सफल होने पर
इसे विशेष झानन्द प्राप्त होता दे । सचुष्य की यही प्रदृत्ति नाटकों
के जन्म घारण करने का मूल रूप है । यह मानव प्रवृत्ति किसी
देश, जाति तथा धर्म की सीमा में नहीं सीसित हुई किन्तु यह. तो
सदा ही असीम तथा साश्वत रही है ।
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