ब्रजलोक - संस्कृति | Brajlok Sansakriti

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Brajlok Sansakriti by डॉ. सत्येन्द्र - Dr. Satyendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[_ १२ _ चुसके कार्य-कर्ताओं की प्रणाली का कुछ एेसा रूप रहा कि उसको घूम भी पर्याप्त हुई ॥| इससे आर सी अधिक उसे कार्य करने की माँग होने लगी । नये चुनाव में अध [न-मन्त्रित्व श्री गोपालम्रसाद व्यास को सौंपा गया । व्यासजी ठोस कार्ये के लिए संकल्पवद्ध थे। उनका निश्चय था कि इस वर्ष शिच्णं-शिविर होकर ही रहेगा । इस शिविर की विवरण-पत्रिका पहले ही तेयार हो चुकी थी । उसे अब प्रकाशित कर दिया गया. और विद्य थिंयों के प्रवेश की तैयाशियाँ _ होने लगीं । इस विस्टत विवरणु-पत्रिका म॑ चेसे भी कुछ बातें उद्घूत करने योग्य हैं । इनसे इस शिविर के कार्य-संचालन पर काश पड़ेगा । शिविर के उद शव १--यह शिविर मण्डल की पंचवर्षीय योजना का श्रथम और प्रधान अड़ है। उसमें स्पष्ट निर्देश है कि ज्रज-संस्कृति प्र साहित्य के संकलन और अध्ययन का कार्य. उस समय तक विधिवत नहीं हो सकता जब तक कि कार्यकत्तोओं को इस प्रकार के कार्य की वैज्ञानिक शिक्षा न दी जाय । २--झब तक शोध का कार्य सावंजनिक चृष्टिकोण से नहीं हुआ ... . जनसाघारण ने उसमें - कोइ भाग ही लिया था । फलतः आम- .. संस्कृति अभी तक अंधकार में पढ़ी हुई है। उसको समभाने ... -बाले बहुत कस हैं। मण्डल का यह एक बिल्कुल नया श्रयोग . है। इस शिक्षण शिविर के द्वारा वह संस्कृति और साहित्य के -.. ज्ञान और शोध की वैज्ञानिक अ्रणाली को. साधारण जन सुलभ - . बना देना चाहता है । इस शिविर में शिक्षा पाने वाले व्यक्तियों . . के लिए श्राम का कण-कण बोलने लगेगा। ३--्रामों के पुनर्निमीण का यह युग है। इस पुननिमौण में आमों के सांस्कृतिक उत्थान पर ही श्राम जीवन का सुख निभेर करता है । उसे जबतक मली प्रकार न समभ लिया जायगा तब तक उसके . -उस्थान में सहयोग केसे दिया जा सकता है। यह शिविर उसी -... सांस्कृतिक उत्थान के लिए उद्योग करेगा । इसके अनन्तर विविध नियमोपनियमों का तथा शेष + -ब्यवस्था का उल्लेख किया गया था ।




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