भारतीय संस्कृति | Bhartiya Sanskriti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Bhartiya Sanskriti by योगेन्द्र बिहारी लाल माथुर - Yogrndra Bihari Lal Mathur

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about योगेन्द्र बिहारी लाल माथुर - Yogrndra Bihari Lal Mathur

Add Infomation AboutYogrndra Bihari Lal Mathur

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
र्ट उद्योग तर भी ग्रबल हो गया । इस काल की प्रमुख घटनाएँ १६२१ का सदयोग श्ान्दोलन ३० ३१ का सत्याग्रह आन्दोलन १६४२ का स्वतंत्रता तन्दोलन ब्ादि हैं । २६४७४ में देग स्वतन्त्र हो गया । इस काल के प्रमुख व्यक्ति गांधी जी रहे । उनका राजनीतिक सन्देश था कि जनसत्ता ही प्रमुख होनी चाहिए सामूहिक प्रयल और स्याग को सहत्व दिया जाय | शटिसा और सत्य के नेतिक सिद्धान्तां का सनोति से प्रयोग किया जाय | खेद है ३ जनवरी ४८ को एक भारतीय (नाथूराम गोडसे) द्वारा ही गांधी जी को गोली मार दो गयी | समाज के चेत्र में पुनरुत्थान की मावना इस काल में पुनः पन्नवित हुई । जाति विरादरी प्रथा क्रमशः शिथिल हो रही है । उच्च वग श्र निंम्नवग की समस्या की शोर मी लोगों का श्यान गया | स्त्रियों का स्थान समाज में पुनः ऊंचा हो गया । वैदिक और पाश्चात्य प्रभाव इसके मूल में हैं । शिक्षा का प्रवन्थ अ्रंब्रेजो साध्यम द्वारा हा । गुरुकुल और विद्यार्थियों को स्थापना होने के साथ-साथ स्रूचों काले वो एवं विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई । इस प्रकार दमारी शिक्षा का विषय ऊँचा है । कलाओं में चि चकला संगीत कला आदि का पर्यात प्रचार हुआ । बंगाल स्कूल आआवू पे टिंग वाम्बे स्कूल ्ावू प टिंग आदि प्रमुख स्कूल थे । भारतीय घरों की बनावट एवं सजावट में भादीयता नहीं रही । पाश्चात्य प्रभाव जीवन के सभी क्षेत्रों पर पड़ा । आर्थिक दृष्टि से हमारा देश निम्नतमास्तर तक पहुँच गया था | स्वराज्य- प्रातति के उपरान्त उद्योग-व्यवसाय की द्ोर ध्यान दिया जाने लगा है | नैतिक इृष्टि से हमार देश काफी पतित हो गया | प्रारम्भ सें यह प्रभाव नगर तक ही सीसित रहा किन्तु दब गावों में भी यह पतन फेस गया | चिशेषतायें दस प्रकार श्पनी स स्कूति को समय के विशाल फलक पर चित्र की भांति खिंचे रूप सें देखकर हम सहज हा उसकी विशेषताएँ जान सकते हैं ड््म




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now