तत्कालीन भारतीय संस्कृति | Tatkalin Bhartiya Sanskriti

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Tatkalin Bhartiya Sanskriti by श्रीमती गायत्री देवी - Srimati Gayatri Devi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्पाय बिपय पुं. मातबीम छीवत के विधिम्त उत्तब--पुत्रबस्मोत्सव विवाहोत्सव राम्याभिषेक कर उत्सव राजा के बरद जाने के बाद का उत्सव अृहप्रवेश-ठत्सव पातणशूमि-चता। ग्रार्मिक उत्सब--पुस्दृत तिथि विश्ेप पर संगम पर स्मान तीर्षयात्रा लादि । डिनोद--अछ्कैड़ा मदिशपान मृपया युतक्रीड़ा प्लोकगृत्प एवं संयौत वित्रकला कबा-अाक्यामिका छीड़ापशी कीड़ापैद्ध ओर शधात विहार, कस्पानों कौ क्रीड़ाएं--कत्दुक कड़ा पुत्तढिका मचियों को दाह में छ्षिएते का छकू सिकता पर्षद केछि । पुषठी ए्जि्पों की জয়ার _ ম্াজ্মলহিআক্ধা হত্থক্দাং সভিএক্চা आरि । वृक्षों का बिवाह । (५ ) मिक जीरन--ध्यादधादिक कम ध्यापार मार्ग भामात-निर्यात की बस्तुएँ, मुद्ाएँ ठौद्ध कौर पैमाने घन का एकत्री- करम सामाजिक रीति काज आकार तजा भ्वष्हर--प्रलाम कएने कौ निनि জাঘীমাহ ইন কটা সম্গাভী আতিপি-ুখা भरिभि-स्वानतं कौ विधि জন্ম তীতিবিশাম। ঈতিকতা ঈতিক্তা জা জাহছা জ্যামহাক্চে प्वकृप--भीगन ঈ কক্ৃজ্ক্চতা মী আন্রজ্ঞাল লাহি। १० झछितकछा ३१४-१ज्८ शक्ितकला की परिधापा सडितिकला का विभाजन । (१ ) कास्यक्ख बस्पकला-- महत्व नारक की रक्ता शोर समाज के धाव प्म्दत्प तारप कछा का गिकाषएठ-रैढान्विष पः शात्पकला के तत्व कंस सभा पारिभाषिक धछाई--रेंब प्रेशाणह, लेपप्प विरध्दरिधौ रंग्ंत्रीय परिषरात रंगमंच की सैपारी' आूमिका' अमिनय संपौषठ हास्व रिह्ृर्सछ्। (२ ) संगीत कशा-संदीत कौ छत्पत्ति भ्याफरण के साव छम्बग्प লাজ্মঘাচপ ঈ ভান ঘলিচিলা ঘরধীত কষা विशाजन । (भ) पौत--तौठ के प्रकार परिभाषा और महत्ता संधीत शौर दीत मैं पस्तर, पगी८ के पारिमापिक छध्च- साइ হম, ঘাস प्रश्ना शाख खव लान्‌ হালাল बथपदरिषिद अयौ श्म प्राक




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