ज्ञान और कर्म | Gyan Aur Karam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.33 MB
कुल पष्ठ :
404
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
गुरुदास बनर्जी नाईट - Gurudas Banarji Naiit
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पं. रूपनारायण पाण्डेय - Pt. Roopnarayan Pandey
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शुष्द
थ-ज्ञानकी सीमा ।
अन्तर्टष्रिकी शक्ति सीमाबद्ध है--इन्द्रियोंकी शक्ति भी वैसी ही
है-- कया ' और * क्यों” इन दो प्रइनोंका उत्तर--विषयका
स्वरूपज्ञान असम्पूर्ण दे--मनोनिवेदा और विज्ञानचचीसे ज्ञानकी
सीमा बढ़ती है--स्वरूप और निर्णय कठिन है, पर नियमनिर्ण
य अपेक्षाकृत सदज दे नि ही न ० ८९
द--शानलाभक उपाय । ः
थिक्षा--दिक्षाके विषय--शारीरिक शिक्षा--पोशाक--व्यायाम-
निद्दा और बिश्राम--शारीरिक शिक्षाको आवश्यकता न ९५
मानसिकडिक्षा--नेतिककिक्षा कम बस १०३
आत्मविज्ञान--गणित--मनोविज्ञान--जडविज्ञान--जीवविज्ञान १०६
नेतिकविज्ञान--भाषा--सादित्य और दिल्प--इतिदास--समाज-
नीति--अर्थनीति--राजनीति--व्यवह्दारनीति--धर्मनीति ... ११०
शिक्षा प्रणाली--वद भिन्नमभिन्न देशों और समयोंमें कैसी थी--
शिक्षाप्रणालीके कुछ नियम--थिक्षाके उद्देय--प्रयोजनीय ज्ञान
और सर्वाज्ञीण उत्क्साधन--विशेष ज्ञान--शिक्षा यथासाध्य
सुखकर होना चाहिए--शिक्षार्थीकी शक्तिके अनुसार शिक्षा---
जो कुछ सिखाया जाय अच्छी तरह सिखाया जाय--सब काम
यथानियम और यथधासमय करनेकी शिक्षा--श्रमसंदो धन---
दिक्षार्थीके लिए आत्मसंयम आवश्यक है--पहले वाचनिक और
मातृभाषाशिक्षा आवश्यक है--क्रमशः पढ़ने लिखनेकी शिक्षा--
रेखागणितकी दिक्षा--भाषा और रचना-शिक्षाके विशेष नियम--
साहित्यिक और वैज्ञानिक रचनाप्रणाली--जातीयशिक्षा ११७
शिक्षाके सामान--शिक्षक--विद्यालय--छात्रनिवास--विश्वविद्या-
लय--पुस्तक--पाठ्यपुश्तकोंके आवश्यक गुण और दोष--
पुर्तकालय--प्रेस--परीक्षावें बा १४०
अनुशीलन--उसके अनेक उद्देेय--र्टतिशक्तिकी श्द्धिकि उपाय
निकालना--भाषाशिक्षाके प्रशस्त उपाय निकालना--शात्रत-
क्वॉको सरठ प्रमा्गोंसे सिद्ध करनेकी चेा--वैद्यक और हकी मीकी
आषधघपरीक्षा--अपराधियोंका सुघार ... बह न गे
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