राधा रानी | Radha Rani
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.52 MB
कुल पष्ठ :
109
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्द् राघां रानी
फिर वद्द उठी श्र दौड़ी हुई दूसरे कन्त में गई, दूध,
दृधि, घूत्त, मिश्री, मेवा सबको एक में मिला कर पंचामूत
बना लाई अर काठ के पात्रों में उन सब के सम्मुख उपस्थित
किया |
परन्तु यह क्यों ? वे चारों ऋषि उद्धव समेत इस श्रकार
ध्यान मग्न हो गये थे जैसे निर्जीव प्रतिमाएँ हों ! गोपा को लगा
कि उनके शरीर मात्र उसकी कुटी में रह गये हैं और उनकी
छात्मा न्रह्मलोक में चली गई हैं ।
मुनिवरों यह थोग विद्या का दुस्पयोग है । तुम ब्रह्मा को
इस बात के लिए श्र रित करने गये हो कि वह दषभान को पुत्र
हीदे! श्रच्छा योग तो मैं नहीं जानती । पर मैं भी एक सती
नारी हूँ। मेरी टेक है कि ब्रृषसालु पत्नी कीर्तिदा के गर्भ
से कन्या ही उतन्न हो । प्रभो ! मेरी टेक रखो । प्रभो ! मेरी
टेक रखो । श्रसो ! मेरी टेक रखो । वह अपने कुटीर के आँगन
में खड़ी होकर शून्य आकाश को देखती हुई जोर-जोर से
पुकारने लगी |
इस प्रकार घंटों बीत गये ।
सहसा योपों के डफ, भ्रदंग और करताल बज उठे । यह
मघुर ध्वनि कानों में पड़ी तो वद्द॒ दौड़ी हुई बृषसालु के सवन
की ओर गई |
कन्या ही ने जन्म लिया है न?” वह वार पर से दी
चिल्लाई |
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