प्रवेशिका हिन्दी व्याकरण बोध | Praveshika Vyakaran Bodh

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Praveshika Vyakaran Bodh by पं रामदहिन मिश्र - Pt. Ramdahin Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मे निचे विफालिियकॉन्फोदसलच-्प्यदर १-2५, गा! . ब्यों के श्रागे कार” प्रत्यय जाड़ने से खास उसो झदार हुं । जैसे--'अकार! 'मकार! इत्यादि... +र, व्यज्न शोर सन्धि का... दर व, एि स्वालय एप पार पार्प अन्तर किसे कहते हैं ? वर्ण मं ला क्या है ? संवर शोर व्यक्षन को पहचाल क्या है ? सस्वर आर हलू वर्सन कौन कहाते है / वर्ण /4चार में कौन २ विचार हैं । ः स्वर [ (४076 ड)) अर हम ग हिन्दी में 'सूलस्वर” अ, इ, उ, ऋ चार हैं और 'दीघंस्वरः झा, ई, ऊ, ए, ऐ, थो, झरो ये सात हैं । इन सात दीघ स्वर में दी मातायें मिली हुई हैं, इससे इन्हें 'संयुक्त-स्वर' श्र प्सन्ध्यक्षर' भी कहते हैं। जैसे-अन शान झा, अझनदन्प :'' इत्यादि । झा, ई, ऊ इनमें समान सर और ए, ऐ., झो, श में ' विभिन्न खर हैं। ऋ, लत, ल॒॒इन तीनों स्वरों का दिन्दी में .. बाय: व्यवहार नहीं होता |... . “कार के बोलने में जितना समय लगता हे उसे ही मात्राः कहते हैं । मात्रा का झ्थ परिमाण (झन्दाजा) है। जिसे स्वर के उच्चारण में एक मात्रा होवे उसे 'हस्वः वा अ, इ,ड; ऋ। .. ... जिस स्वर के उच्चारण में पक मात्रा का दूना काल लगे ढखे. माजिक' या दीघे कहते हैं । जैसे, शा, इ, ऊ, ऋ, एप, पे, झ््ड स्वर के उच्चारण में हस्व के उच्चारण से ति त्रिक” वा. ब्यवद्दार बहुत कम होता अदा




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