मानव शरीर | Manav Shreer
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.51 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मानव-दरीर सामान्य परिचय 15 देह के तत्र ्राइए अ्रव हम देह की प्रमुख सक्रियताश्रो पर सरसरी नजर डाल ले । हमे इस वात को याद रखना चाहिए कि श्रागामी भ्रध्यायों मे हम इन्ही बातो पर अधिक विस्तार से विचार करेगे। शझ्राकृति 1 मे देह की वाह्याकृति दी गई है श्र उसके प्रमुख ्रातरिक अ्रग दर्शाए गए है । देह की सरचक इकाइया--सभी सजीव वस्तुएं (प्राणी तथा पौधे दोनो ) श्रतीव सुक्ष्म खडी से मिलकर बने है जिन्हे कोशिकाए कहते है । ये सरचना तथा कार्यें दोनो ही की इकाइयों का काम देती है । जिस पदार्थ से कोशिका बनती है उस प्रारापदार्थ को जीवद्रव्य या प्रोटोप्लाज्म कहते है। हर प्राणी (आ्ौर मानव) कोदिका का विशेष लक्षण यह है कि उसमे एक सघनतर भाग नाभिक होता है जो एक कम सघन दानेदार भाग--कोदिका-द्रव्य या साइटोप्लाज्म-- से घिरा रहता है । कोशिका-द्रव्य के वाह्म सीमात को कोशिका-शिल्ली कहते है (झ्ाकृति 2) । समान प्रयोजन के लिए समूहवद्ध एक ही प्रकृति की कोशिकाए कतक कहलाती है। पेशीय तत्रिकायिक झादि विभिसन ऊतकों को एक बडी सरचक इकाई मे वर्गवद्ध किया जा सकता है जिसे इन्द्रिय या अग कहते है । प्रत्येक झ्रग (जठर या श्रामादाय नेत्र बृूकक श्रादि) का एक निश्चित कार्य है । जिन श्रगो के सयुक्त कार्यो से श्रधिक बडी झावश्यकताश्रो की पूर्ति होती है वे कोशिका शिल्ली कोशिका-द्रव्य ताशिक ध्ाकृति 2--कोशिका मिलकर किसी एक तत्र (परिवहनीय पाचक उत्सर्गी आदि) का निर्माण करते है। इन सभी भागों का एकीकृत संग्रह जीव (मनुष्य कुत्ता पेड मक््खी झ्रादि) है । सभो वहुकोशी जीव श्रपनी नाना सक्रियताश्रो का सचालन श्रम-विभाजन के सिद्धात के भ्रनुसार करते है--उनके कुछ विशेष झ्रग विशिष्ट उपयोगों की विशिष्टता प्राप्त कर लेते है । पाक तन्न-+हम जो खाना खाते है वह सामान्यत इतना जटिल होता है कि देह की कोशिका को तुरन्त उपलब्ध नही हो सकता जैसा कि हम देख चुके है शरीर के ईघन हमारे खाए हुए भोजन के खडन से उत्पन्न पदार्थ ही है । इसलिए पाचक तत्र का काय॑ जटिलतर भोजन को सुध्मतर श्र रासायनिक दृष्टि से सरलतर पदार्थों मे परिवर्तित करना है । निगले जाने पर भोजन मुख से ग्रसनी से श्रौर फिर एक पेशीय नली--ग्रसिका या ग्रास-नली---में जाता है जो उसे जठुर या झ्रामाशयय मे ले जाती है। श्रामाणय मे भोजन मथा जाकर छोटे- पु
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