उपवास के प्रयोग | Upavas Ke Prayog

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Upavas Ke Prayog by बाबू केशवकुमार ठाकुर - Babu Keshavkumar Thakur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उपयास के प्रयत्य श्र माँसे नरद्दा गया। उनने एक पूडी ओर शक्कर भिलाफर दूद्दी तेतिया । लड़के ने उते खतिदा | दिन यीत गया । रत को लड़के की दा में परिय्रतन होने लगा उसने बुद य ऊना आरम्भ कर दिया । रात ही क। बेय लो का लाकर रियाया गया सो मालूम हु था कि उसका सतयात हो गया है। यड़ देयकर पेय जी को यहुत झारचय हुआ । सन्तदात का कोई कारण उनका मालूम न हुआ 1 चोथे राज उप्त लडके की सत्यु हा गयी । यदि उस हटके क। स्याहार के टिन पूडी प्रोर दद्दी न दिया ज्ञाता वे फिसों भी प्रकार इसको सर यु न हातो। जिस उपर में वद लेडा हुया था उनमें उयें ता सत्ता दिया. गया पर उसके लिए चिप हो गया | विकारों का शमन ये। तो हम को भातन करते हैं उनसे इसको जीयन-शक्ति प्राप्त ाती है छिन्तु दमा भाप ता से उनकी अपय श्रय्या में जो पिफार उपन होते हैं. यदि उनका शमन ओर लाश ने किया ज्ञाय तो वे पिकार हमारे शरीर के लिर जप हताते हैं । ये पिद्ाए प्राय पेदा हाते रहते हैं । इन जिफारा के शमन के लिए उपवास के प्रयोग किये जाते रू । हमारे जीवन के लिए भोजनों का जितना झविक सदस्य दै उससे रम मइत्य उपयास का नहीं है। भाजन के द्वारा हमको जवन शक्ति प्राप्त होतो है। भजन में जहाँ यद्द एफ गुण है वहीं उसमें दोप यद है कि -स८ द्वारा हमारी ज्ञान अयस्या में विकार उतत छाते रत ४। उपयास इन




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