राम चरित | Ram Charitra

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Ram Charitra by स्वामी विद्यानन्द - Swami Vidhyanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बाल-काण्ड २१ ४४. सुनाभास्त्र ४५. ददाक्षास्त्र ४६. दातवक्रास्त्र ४७. ददादीर्षास्त्र ४८. दातोदरास्त्र ४९६. निष्कल्यस्त्र ५० सर्पास्त्रि ५१. वरुणास्त्र .. ५२. दोषणास्त्र ४३. सन्तापनास्त्र ४४. विलापनास्त्र ५५. मदनास्त्र ५६. तामसास्त्र ... ५७. सत्यास्त्र .. ४८. सौरास्त्र ५९. सुर्यास्त्र ६०. पराड मुखास्त्र ६१. अवाड सुखास्त्र ६२ पदुमनाभास्त्र ६३. महानाभास्त्र ६४. दुन्दुनाभास्त्र ६५ ज्योतिषास्त्र ६६. नैराइयास्त्र ६७. विमलास्त्र ६८. विनिद्रास्त्र ६९. लुचिबाहु-श्रस्त्र ७०. आवरणास्त्र ७१. विधूमास्त्र ७२. पत्थानास्त्र । पड श्रायुधविज्ञान का पूर्ण पाण्डित्य सम्पादन करके राम व लक्ष्मण सिद्धाश्रम से श्रयोध्या के लिये प्रस्थान करनेवाले ही थे कि ऋषि विश्वामित्र को मिथिला में सीता-स्वयंम्वर की सुचना मिली । ऋषि विद्वामित्र ने दोनों कुमारों को साथ लेकर मिथिला के लिये प्रस्थान किया । मिथिला जाते हुए मागे में गौतमाश्रम आया । ऋषि विस्वासित्र ने राम को बताया कि एक बार ऋषि गौतम की अनुपस्थिति में राजा इन्द्र गौतमाश्रम चले आये । कुछ देर आश्रम में विहार करके इन्द्र आश्रम से चले गये । गौतम ने अपने श्राश्रम को लौटते हुए इन्द्र को आश्रम से बाहर निकलते हुए देख लिया । गौतम सन्देहवृत्ति के व्यक्ति थे। उन्हें लग कि इन्द्र उनकी अ्रचुपस्थिति




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