सम्पूर्ण महाभारत हिंदी {महाग्रंथ} | Sampoorna Mahabharat Hindi {Mahagranth}

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Ved Vyas was a great and known poet during time of Mahabharat. He was the son of Satyawati and also was a step son of King Shantanu of Hastinapur. He wrote the book Mahabharata in which he told about the great war which happened almost 5000 years ago from now. He was also the writer of Shiva Purana and Vishnu Purana which were very important books in Hinduism. He was given the degree of Ved Vyasa.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पास आया और मके चरणोंमें नमस्कार किया। आचार्यने शिष्योंने कहा-'भगवन्! वह तो गाय चराने गया है।' का, 'मेरा उपमन्यु ! मैं तुमारी सारी भिक्षा ले लेता | आचार्यने कहा-' पमन्युके खाने-पीने सभी दरवाये दूसरी बार तुम माँगते नहीं, फिर भी तुम सुनते हो; | बंद कर दिये। मसे होय आ गया होगा। पी तो अब क्या माते-पीते हो?' उपमन्युने कहा, 'भगवन् । मैं इन अबतक नहीं लौटा। चलो, असे ।' आचार्य शिष्य के साथ गौओंके से अपना जीवन निर्वाह कर लेता है। आचार्य में गये और ओरसे पुकारा, पमन्यु ! तुम माँ है? कहा, 'बेटा ! मेरी शाके बिना गौओंकाय पी ले अघित| आओ बेव !' आचार्यको आवाज पहबानका या जोरसे हो।' आने इनकी हा भी स्वीकार की और फिर बोला, 'मैं इस ऐसे गिर पड़ा।' आचार्य पूण कि 'य | गौरी अराकर झामको उनकी सेवामें उपस्थित ऐका नमस्कार में कैसे गिो ?' उसने कहा, 'आकके पते लाकर मैं , किया। आभावी पण-घेव! तुमने मेरी आमासे अंधा हो गया और इस की गिर पड़ा।' आचार्य भिक्षाकी तो बात है कौन, दूध पीना भी दिया; फिर क्या 'तुम देवताओंके किसक अश्विनीकुमारकी स्तुति कये। वे खाते-पीते हे ?" पमन्यने कहा, 'भगवन् ! में मारे अपनी] तुम्हारी में ट्रक का देंगे।' म उपमन्यु वेदक पकि इनसे दूध पीते समय शे फेन शाल देते । ही में पी | मासे अधिनीकुमारकी स्तुति की। ता।' आचार्षने कहा, राम-राम ! ये दातु में तुमपर कृपा काके ममा फेन उगल देते होगे; म प्रकार तो तुम | इनकी विकामें अश्वन झलते हो ! तुने ह भी नहीं पीना चाहिये।' ने आचार्यको आज्ञा शिरोधार्य की। अब खाने-पीने के सभी वरखाने बंद हो जाने के कारण पूरा व्याकुल होकर उसने एक दिन आककै पर्ने खा लिये। म सारे, तीते, , असे और पचनेपर ला रस पैदा करनेवाले पतोको खाकर वह अपनी औलोकी ज्योति यो अमयुकी नातिने प्रसन्न होकर अभिनीकुमार उसके पास आये और बोले, 'तुम यह पुआ ना ले।' उपमने कहा, देववा ! आपका कहना ठीक है। परंतु आचार्यको निवेदन किये बिना मैं आपकी आज्ञाका पालन नहीं कर सकता।' अश्विनीकुमारी झा, 'पहले तुम्हारे आजाबी भी पारी स्तुति की है और हमने न आ दिया था। नोने तो उसे अपने गुरुको निवेदन किये बिना खा लिया था। मो जैसा उपाध्यायको किया, वैसा ही तुम भी करो।' पमन्यने का-१ आपलोगोसे व जोका विनती करता है। बैठा। अंसा रोका अनमें भटकता हा र एक में गिर | आचार्यको निवेदन किये बिना में पुआ नहीं हो सकता।' प। सूर्याप्त हो गया, परंतु अपम आचार्यकै अमर | अश्विनीकुमारोंने कहा, 'म तपा प्राप्त गरी म आमा । आचार्यले शिष्योंसे पूण-उपमन्युगो आवा?' | गुरुभक्तिो। तुम्हारे दाँत रोनेके हो जायेंगे, तुम्हारी से




User Reviews

  • Jay Alok

    at 2021-03-22 05:40:21
    Rated : 9.3 out of 10 stars.
    Nice book
  • Jay Alok

    at 2021-03-22 05:39:22
    Rated : 9.3 out of 10 stars.
    Bahut acchi kitab hai ye Isko sabhi padhein
  • Rahul Sharma

    at 2020-08-24 08:37:50
    Rated : 9.3 out of 10 stars.
    Mujhe kharidni h shrimadbhagwat geeta
  • Arbind Yadav

    at 2020-08-18 05:42:09
    Rated : 9.3 out of 10 stars.
    Thanks so much
  • Arbind Yadav

    at 2020-08-18 05:41:49
    Rated : 9.3 out of 10 stars.
    Best book ever seen
  • Chanakya Niti PDF

    at 2020-06-14 12:39:56
    Rated : 9.3 out of 10 stars.
    "Best boos ever"
    Thanks
  • purushottam das

    at 2019-12-23 15:44:12
    Rated : 9.3 out of 10 stars.
    "pds"
    very good, thanks
  • Pruthvirajsinh

    at 2019-11-10 04:51:33
    Rated : 9.3 out of 10 stars.
    "??"
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
  • Govind

    at 2019-09-24 08:10:03
    Rated : 9.3 out of 10 stars.
    " जय महाभारत"
    बहुत ही प्रेरक पुस्तक है महाभारत
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