भगवत्प्राप्ति सहज है | Bhagwat Prapti Sahaj Hai

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Bhagwat Prapti Sahaj Hai by स्वामी रामसुखदास - Swami Ramsukhdas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(११) भक्तों का धन हैं भगवान। उस भगवान्‌ की लीला कहते सनते विचार करते रहें -यही वास्तव में भक्तों की रक्षा है और इस वास्ते ही हनमानजी को प्रभ चारित सुनिबे को रसिया कहा. है। भगवान .का चरित्र सनने के लिये वे रसिया हैं रसिया। वाल्मीकि रामायण में आता है कि जब भगवान्‌ दिव्य साकेत लोक. जाने लगे तो हनुमानजी ने कहा मैं साथ नहीं चलूंगा। जब तक आपकी कथा भूमण्डल पर रहेगी मैं भूमण्डल पर रहूँगा। जहाँ-जहाँ आपकी कथा होगी वहाँ वहाँ स्नगा। भगवान्‌ को छोड़कर कथा का लोभ लगा उनको। भगवान्‌ को देखने से गरुड़ जी को मोह हो गया। भगवान्‌ को देखने से काग भुसुंडिजी.को मोह हो गया भगवान्‌ को देखने से नारदजी को मोह हो गया। भगवान को देखने से सती को मोह हो गया और वह रामायंण सुनने से मोह मिट गया। भगवान्‌ को देखने से गरुड़जी को मोह हो गया और चरित्र सुनने से मोह दूर हो गया। यह तो जानते ही हैं आप तो भगवाज से बढ़कर भगवान के चरित्र हैं। यही भक्तों की रक्षा है कि इस चर्चा को करते रहें। अपने भाई लोग जो कि पारमार्थिक मार्ग में चलना चाहते है उनका विचार रहता है कि अच्छे महात्माओं का संग करें। ऊँचे दर्जे के संत-परूष हों तो उनका हम संग करें। यह भाव रहता है और यह ठीक ही है उचित ही है परन्त इसी अटकल को महात्मा पुरुष लगा लें अपने लिए तो वे अपने से ऊँचों का संग करेंगे। वे उनसे ऊँचों का भगवान्‌ का ही संग करेंगे। फिर हमारे साथ माथा-पच्ची कौन करेगा भगवान्‌ अवतार लेते हैं। अवतार नाम है उत्तरना । अवतार तो नीचे उतरने को कहते हैं। तो भगवान्‌ नीचे उतरते हैं हम जहाँ हैं वहाँ। जैसे बालक को आप पढ़ाओगे तो आप भी क क कहोगे और हाथ से क लिखोगे तो यह क्या हआ? आपका बालक की




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