श्री तुकाराम - चरित - जीवनो और उपदेश | Sri Tukaram Charitra - Jeevani Aur Upadesh

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लक्ष्मण नारायण गर्दे - Lakshman Narayan Garde

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लक्ष्मण रामचन्द्र पांगारकर - Lakshman Ramchandra Paangarkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( रे ) आया है। इन्दींके भाई विड्टल ( जन्मसंवत्‌ १९६७३ ) की प्रसिद्ध प्रभावी उठि उठि वा पुरुषोत्तमा में यह चर्चा भी आ गयी है कि उनकी बह्दियाँकों तुमने पानी कगनेतक न दिया । सबत्‌ १७४३ में देवदासने जो सन्तमाढ़िका रची उसमे कहा है कि जातिके बनिये ठुकाराम तेरे मजनमें बड़ा गाढ़ा प्रेम है । इसीसे दूने उस पुरुषोत्तमकों पा छिया जो तेरे कागज भी जकसे तारने चला आया । श्रीघर स्वामीके सन्तप्रताप के बहियोके उबारे जानेकी बात छिखी है । सबत्‌ १७३७ के न्नाद सन्तयुणकीतंनोमे तुकारामकी बहियोंके तारे जाने तथा उनके सदयरीर बेकुण्ठ सिघारने--इन दोनों ही घटनाओका कीतंन शिया गया है । दशिवदिनकेसरी मध्वमुनीश्वर देवनाथ महाराज आदिने पते पदोपें तुकाराम महाराणपी स्तुति करते हुए. इन दो कथाशोका मरण कराया है । समर्थ श्रीरामदास स्वामाके सम्यरदापबाढोने भी ठुकारास नाक प्रति अत्यन्त प्रेस व्यक्त किया. है । सम और तुन्गराम एक दूसरेस अचब्य ही मिलें होगे । भिक्षाके सिससे छोटे-बड़े सबको परख महन्त महन्तकों हदें इत्यादि सीख दासब्रोप द्वारा देनेवाला सम दक्सिणमे कृष्णानदीके तीरे रवत्‌ १७०१ में आये । इसके पॉच वप बाद सबत्‌ू १७०७ में तुकाराम अदृश्य हुए । इन पॉच वर्षकफे कालमें समय वुकारामजीसे कभी न. सिले दो यह तो असम्मव ही प्रतीत होता है । रामदास-तुकाराम-मिढापके कथाप्रसड् रामदासों घ्न्थोसे वर्णित हैं। उद्धव- सतने समथचरित्रमें तथा रड्डनाथ आत्या स्वामी वामन निवराज बौघकें बोवा और जयराम स्वामीने छिखा है कि पण्टरपुरमें तुकाराम रामदास मिछे । मीम स्वामीफे सन्तछी लागत में तुकारामचरित्र बीस अभड्ों में हे। पर इन बीस अभज्ञोगे भी समर्थ-तुकाराम-मिठनका प्रसद्ध वार्णत हे तथा और भी कई प्रसिद्ध और अप्रसिद्ध आख्यायिकाएँ हैं । दास- विश्रामघाम की भी यही बात है । ठुकारामजीकी कई अनोखी बाते इस प्रन्थमें हैं। उनकी बिपत्ति उनके धेय नि्पृहता और असीम




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