संसार की असभ्य जातियों की स्त्रियाँ | Sansar Ki Aasabhaya Jatiyo Ki Striyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.74 MB
कुल पष्ठ :
45
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विश्वम्भरनाथ शर्मा - Vishvambharnath Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ संसार की झसम्य जातियों की स्त्रियाँ पूर्ण सुन्दर समकी जाती है यदि उसका वर्ग काला हो जाय तो अधिकांश की दृष्टि में बदसूरत हो जायगी । यह बात प्रप्ट ११ में दिये हुए चित्र से भली भॉति समसा में झा सकती है । यह एक झास्ट्रेलियन खी की प्रस्तर मूर्ति हे । इस ख्री का रन काला है और असली सूरत में देखने पर यह बदसूरत दिखाई पढ़ती है । परन्तु मूर्ति का रह श्वेत होने के कारण यह उतनी बदसुरत नहीं दिखाई पड़ती केबल वर बदल जाने से इसकी चदसूरती में काफी कमी हो गई । यूरोप के सौन्दर्य विशारदों का कथन है कि वर्ण से सौन्दर्य की अधिक प्रृद्धि अथवा हास नहीं होता । एक खी जो अन्य प्रकार से सुन्दर कहीं जा सकती है केवल बरी काला होने से कुख्पा नहीं मानी जा सकती । इसी प्रकार एक गोरी ख्री जिसके नखशिख सुन्दर नहीं हैं केवल इसीलिए सुन्दर नहीं मानी जा सकती कि वह गोरी है । इस बात में बहुत कुछ सत्यता है परन्तु इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि केवल बरी से सौन्दर्य की बहुत कुछ ब्रद्धि तथा उसका बहुत कुछ हास हो जाता हैं । एक श्रत्यन्त सुन्दर स्री का मुख यदि काला कर दिया जाय तो उसकी सुन्दरता उतनी न रहेगी उसका बहुत कुक हास हो जायगा 1 इसी प्रकार यदि एक काली सनी जिसके नख दिख सुन्दर हैं गोरी हो जाय तो उसकी सुन्दरता पहले की अपेक्षा बहुत कुछ बढ़ जायगी । झतएव यह सिद्ध हो गया कि नख शिख की सुन्दरता के साथ बरी की खुन्दरता भी सौन्दर्य बुद्धि के लिए झावश्यक है । शरीर को नाना प्रकार के झलझ्वारों से खों से तथा अस्य कृबिम उपायों से सुन्दर बनाना ही खार का शिष्य है । श््वार का आदर भी संसार में भिन्न भिन्न है। यूरोप तथा श्मेरिका की स्टंगार .. स्वियाँ मुख पर श्वेत पाउडर मल कर गाठों पर हलका गुलाबी रह का पाउडर लगाती हैं। आोसेों को
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