प्रोढ़ - रचनानुवाद कौमुदी | Prorh Rachananuvad Kaumudi

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Prorh Rachananuvad Kaumudi by डॉ. कपिलदेव द्विवेदी आचार्य - Dr. Kapildev Dwivedi Acharya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( हद ) (१०) सभी उपयोगी व्याकरण का सभ्रह किया गया है । जैसे--सन्धि-बिचार कारक-विचार समास-विचार क्रिया-विचार कृप्मत्पय-विचार तथद्धित-प्रत्यय-पिचार स््री-प्रत्यय-विचार आदि । (१११ ब्याकरण-ज्ञान के लिए अनिवायं १६५ शब्दों का एक पारिभाषिक- दाब्द्कोश अकारादि-क्रम से परिशिष्ट में दिया गया है । (१२) अत्युपयोगी २० विषयों पर प्रोढ़ संस्कृत में निबन्ध दिए गए हैं । (१३) प्रस्येक अन्यास में व्याकरण के कुछ विशेष नियमों का अभ्यास कराया गया है और अनुवादार्थ अत्युपयोगी संकेत दिए गए है । (१४) परिदिष्ट के अन्त में बृदहत्‌ हिन्दी-सस्कत-दब्दकोष भी दिया गया है । (१५) पुस्तक के अन्त में विस्तृत विषयानुक्रमणिका भी दी गई है । कृतज्नता-अकाशन सर्वप्रथम परम सम्माननीय राष्ट्रपति डा० राजेन्द्रप्रसादजी का अत्पन्त कृतश हूँ जिन्होंने पुस्तक की मूछप्रति को देखने तथा पुस्तक को समपंण करने की स्त्रीकृति प्रदान करके असीम अनुकम्पा की है । माननीय श्री डा० सम्पूर्णानन्दजी मुख्य-भन्नी उत्तर प्रदेश ने पुस्तक की भूमिका लिखकर जो मुझे गोरवान्वित किया है तदर्थ उनका हार्दिक झतज्ञ हूँ । निम्नलिखित सजनों ने पुस्तक-लेखन में कतिपय अत्यन्त उपयोगी परामर्श और सुझाव दिए हैं । तदर्थ इनका कृत हूँ । सर्वश्री डा० ज० कि० बल़धीर (नेनीताल) प० छेदीप्रसाद व्याकरणाचार्य (गुरुकुछ महाविद्यालय ज्वाापुर) सवा ० अम्ृतानन्द सरखती (रामगढ़ नैनीताल) डा० इरिदत्त शास्त्री ससतीर्थ (कानपुर) | भरीमती ओमूशान्ति द्विवेदी और मेरे विद्यार्थी हरगोविन्द जोशी ने सामग्री-संकलन और प्रूफ-संशोधन में विशेष सहयोग दिया है । तदर्थ उन्हें धन्यवाद है। चि० भारती भारतेन्दु और धर्मेन्दु ने कार्य को निर्विष्न समाप्त होने में पर्याप्त कष्ट उठाया है तदर्थ उन्हे आशीर्वाद है । प्रकाशक शी पुरुषोत्तमदास मोदी और मुद्रक श्री ओमप्रकाश कपूर ने पुस्तक को सुन्दर रोचक और शीघ्र छापने में जो तत्परता दिखाई है तदर्थ उन्हें विद्वेष घन्यवाद है | ... अन्त में विद्रजन से निवेदन है कि वे पुस्तक के विषय में जो भी संशोधन परिवर्तन परिवर्धन आदि का विचार भेजेंगे वह बहुत कृतशता-पूर्वक स्रीकार किया जायगा । गवर्नमेण्ट कालेज नैनीताल ी ता० १-६-६० ई० कपिलदेव डिवेदी




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