खुदाराम और चन्द हसीनों के खुतूत | Khudaram Aur Chand Hasino Ke Khutoot
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.25 MB
कुल पष्ठ :
141
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ख़ुदाराम प्रेस बड़े आदरसे खींचा । चले आश्ो हस ज़ात-पात नहीं केवल हक़कों. मानते हैं । इसलाममें मुददब्यत भरी हुई है। खुदा ग्ररीवपरवर है। दिन्दु्जोकी ठोकर खानेसे अच्छा है कि हमारी पलकों पर बैठो-- मुसलमान दो जाश्यों 1? ं लाचार समाज अपमानित परित्यक्त पतित देवनन्दन सपरिवार श्ल्लाभियांदी शरणमें चले गये । वह द्लोर करते ही क्या ? मनुष्य स्वथाबसे ही समाज चाइता है सहानुभूति चाहता है प्रेम चाहता हैं । हिन्दू समाजने इन सब दरवाजोंको देवनन्दनके लिये बन्द कर दिया । इतना दो जानेपर उनके लिये सुसलमान दहोनेके सिवा दूसरा कोई पथ दी नहीं था ) देवनन्दम उल्फत अली बन गये और उनका पुत्र रघुनन्दन-- इनायत अली । देवनन्दनकी छातीपर समाजने ऐसा क्र घक््का मारा कि घ्मपरिवतेनके नो महीने बाद ही वे इस दुनियासे कूच कंर गये रू
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