बाल भारती भाग 3 | Bal Bharati Bhag 3

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Bal Bharati  Bhag 3  by डॉ. सत्येन्द्र - Dr. Satyendraसंयुक्ता लुदरा - Sanyukta Ludra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चोंच में दबाया और नदी के किनारे-किनारे उड़ने लगा। कुछ ही दूर उसे मधुमक्खी दिखाई दी। उसने पत्ता सधुमक्खी के बिलकुल आगे डाल दिया। मधुमक्खी पत्ते पर चढ़ गई और डूबने से बच गई। कबूतर कुछ देर तक पत्ते के साथ-साथ उड़ता रहा । उसने देखा कि मधुमक्खी तो बिलकुल हिलती-डुलती नहीं । वह सोचने लगा- क्यों न मैं र्केकन- यह पत्ता पेड़ के नीचे ले जाकर रख दूँ। उसने पानी में अपनी चोंच बढ़ाई और पत्ता चोंच में दबाकर पेड़ के नीचे ले आया। कुछ देर तक वह इस बात की प्रतीक्षा करता रहा कि मधुमक्खी हिलती-डुलती है या नहीं। मधुमक्खी कुछ हिलने लगी। वह धीरे- धीरे पत्ते पर चलने भी लगी। उसने कबूतर की ओर देखा। कबूतर को विश्वास हो गया कि अब मधुमक्खी बच जाएगी। मधुमक्खी धीरे-धीरे उड़कर अपने छत्ते में चली गई। ... एक दिन एक शिकारी उधर आया। वह नदी के किनारे घूम-घूमकर चिड़ियों का शिकार करने लगा । उसके भय से सभी पक्षी इधर-उधर उड़ने लगे। जिस कबूतर ने मधुमक्खी को बचाया था वह भी उड़ता हुआ उसी पेड़ के पास आ गया। डर के मारे वह पेड़ के पत्तों में छिप गया। मधुमक्खी ने उस कबूतर को देखा तो तुरंत अपनी सहेलियों से कहा- हमें किसी भी तरह इस कबूतर की रक्षा करनी चाहिए। उसकी बात सुनते ही कई मधुमक्खियोँ छत्ते से निकल पड़ी । कि कहे पकल पल सवा लरिनायय 2 र विजय कपन सब दिदस्यकत अर लनप्दकटलचनयवतपिप | जिद से दालनरजंद मानों लयजालिदपिस ७ दर बट ल्फया-स पक दिसदन्पचतल ७ पदयगधत वा जे नत एकप फल सन्त अप नपियिन-सथसलमया-ानर जन उप तक अंडतणपाचधयतप७ छ |.




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