गणित पुस्तक - 5 | Ganit Pustak - 5

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एस. सी. दास - S. C. Daas

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राम अवतार - Ram Avtar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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् गणित 1.5 प्रतिलोस त्रिकोणमितीय फलनों की मुख्य सान छाखाएँ हम जानते हैं कि यदि 0 कोई कोण हो जिसका 80८ 2 के बराबर हो तो उन सभी कोणों के 5100 के मान जो #प्+-( न 1)70 द्वारा प्राप्त होते हैं के बराबर होते हैं जहाँ 7 # 0 1-1 22 उरडै८ ० है । अत आए 1 अनंत मान प्राप्त कर सकता है । उदाहरणाथ 8ंत 7 (हू) के मान 30 1 50 390 इत्यादि हो सकते हैं । इस प्रकार 80 एक बहुमानी फलन (ए01]016-एक1प60 सछछिक0ं07 ) है । इसी प्रकार प्रत्येक अन्य चिकोणमितीय फलन का प्रतिलोम बहुमानी होता है । अब क्यों कि कलकुलस में हम बहुमानी फलनों को स्वीकार नहीं करते हैं अतः हमें 813 005 13% 10% इत्यादि को 2 का फलन तब तक नहीं कहना चाहिए जव तक कि हम इन्हें प्रतिबंधित कर एकमानी फलन (दाएछोड-र810८त प्ताटांगा ) नहीं बना लेते । इस बहुमानी होने का कारण यह है कि कोई भी ज्रिकोणमितीय फलन अंतराल -- ०० ९ ८ में न तो निरंतर वर्धसान (50701 प10768.5 18 ) होता है तथा न ही निरन्तर ह्लासमान र (8010४ त८ठा685108 ) होता है । अतः अस्तराल -- क बज पए 2८ पे इन फलतों के प्रतिलोमों का कोई अस्तित्व नहीं होता । परन्तु. ब्रंप 3 आकुति 1.1. नए का आनेख है फनन 2 ना (2) एक बहुमानी फलन कहलाता है यदि 3 के किसी एक मान के तदतुरूपी हू 2 के दो या अधिक मान प्राप्त हों । सफलन नल (3) एक एकसानी फलन कहलाता है यदि . के किसी एक मान के तदनुरूपी हमें . का केवल एक ही मान प्राप्त हो । कफलन नल (2) निरन्तर वर्धमान कहा जाता है यदि ./ (2५) (3) तब हो जब रंद न हो तथा फलन निरंतर ह्लासमान कहा जाता है यदि (जद) बदल) तब हो जब ता जि हो जहां क तथा 2 3 के कोई भी दो मान हैं । इन दोनों स्थितियों में से किसी भी एक को व्यक्त करने के लिए पद निरंतर एक दिष्ट (891०1 ह)01010710 ) का प्रयोग किया जा सकता है |




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