भागवत शंकानिवारण मंजरी | Bhagvat Shanka Nivaran Manjari

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Bhagvat Shanka Nivaran Manjari by छोटेलाल - Chhotelal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(सके ०१) सा० घोवकालवारण सज्रों । ११ डी बा सास्स्स चर धर पम्म नदुनापाजगत्यात २ सथधापरारराचयायस्सथलसूपमानना नई टाल ससटणा सा गार गस्यग प् ब्लयकन- अल के एत नर यउकः। रुष्या तंज सन्तस्पसतस्थसलततडाद व एुतंदूथ दा दर कस पिन यू. झुष्णु यू नाक्करुतप्यतानरन । उक्कनतावनराधघनस ५ लि मर विंष्युस्पजणत ४ हातंश्रा मागवचतन् ० सपपउध्यायस समंदेणी ॥ ७ ॥ श्लोक ७1 श्रोतार ऊचः ॥ ग्यक्कमानश्चब्रह्लासों मस्पकुय्याज्ज गय्त्रयं । उत्तराततलग्वनश्च नद्दाइकर्थ स्वर १ वाचक उदा च ॥ पतिह्ीनाचवेराटी श्री कृष्ण चरण यम । स्परंती सतत सकत्यानेत्राश्रुपरिसु हुरे कृष्ण हुरें कृष्ण से १ वाचक बोले सनियों रा क श्र पल 5 ९ 2 त्थ जगन्नाथ हनन का झादल के तासा व्यास जा कुष्ण यह वास सदा प्यारा लगताहे ३ इस चास्ते सतने कहेकि भागव ननसे छुष्णजों व्यास पतिन में साक्तिहोवगी कुछ विरोधसे नहीं रट्टे क्योंकि सब संसार अगवानकों जि सगवानरू एक रूपमें सक्तिहुईं तो सनत्त रूप से झंचगा हशुवरक रूपस हाई ४६०५०सा०५४४्० सम ८ध्यायेसप्सवेशी ॥ ७ धइशलोक ७ ॥ श्रोता परुवेसये दि घ्ह्माधस्रको ऐसा ताप शास््रमेंखिखा त योघा लोग घरह्मजखकों घजुषपरसे छोड़ेंगे तानलोक सस्थ करन वास्ते छाडेंग तब घनष सी बखत तीन लोफ को सस्थ कारे ड.रेगा पण उन्तराका दहस ब्रेह्मसस्त्र सागऊ अल्दों उतरा सस्प बयां. नहीं किया १ वाचकथाले एतिसे हीनएसी उसरा राति विन बड़ा भाक्ति से भ्ीकृष्णुक चरणव्धा स्मरण करती थीश्याखों से था न कद जे पे है प्भ करजरी श्र नी ््शे | हे 51 ये स्लं कक नागा 1 27 2 भा शी ८ _ तु? की पा ४ ढैः




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