नित्यस्मरण - पाठमाला और स्नात्र पूजा | Nityesmaran Pathmala Aur Snatar Pooja

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(श) की बाइयों ने इतने रुपये देने की असमर्थता प्रकट की तो आपने तुरन्त उनके दिये हुए समस्त रुपये लोटा दिये व सन्दिर बनवाने व ग्रतिप्ठादि का खर्च जो ५० हजार के करावि था स्वयं बहन किया 1 ये तीन कीतिनगाथाए तो स्थानीय संटिरों की वतलाई गई । शव श्रीजिनक्रपाचंद्रयूरि उपाश्रय का हाल सी सुनिये | सूरिजी के जानकारी एव कलाप्रेम का परिचय देते हैं, यह समवशरण सी श्रापके यनोरस कला-प्रियता का परिचायक है | शिक्षा व साहित्य-प्रकाशन में थी छापका दान विशेष रूप से उल्लेखनीय है । वैसे तो आपने नित्य-स्मरण-पाठयाला, रंशवोल समह आदि घन्थों के कई सस्करण छपवाकर '्रमूल्य वितरण किये ही थे पर हिन्दी भाषा में जन महापुरुषों के सुवोध जीवन-चरित्रों को भी श्ापने प्रकाशन करना कर जन साहित्य की वर्डी सेवा की | प० कार्शानाशर जैन ने से यों के प्रकाशन का कार्य अपने हाथ में लिया था पर कोई भी कार्य द्रच्याभाव के कारण चल नहीं सकता । शत ापनें 'झादिनाथ जेन-साहित्त-साला के सचालनार्थ ५ हजार का दाच दिया | इसीसे वे ०१92० चरित्रों के प्रकाशन में समर्थ हो सके । राजस्थानी साहित्य-पीठ को सी राजस्थानी साहित्य के परिचायक पुस्तक प्रकाशन का श्ापनें पूरा सच दिया था | आपने जिनदत्तसूरि-वदाचर्याधम में रु डू2००) देकर सेटार्नाजी के नाम से पुस्तकालय स्थापित किया च भाडारकर टन्स्टीच्यूट. पना को 2




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