श्री पंडित तुलसीराम जी स्वामी के चारों व्याख्यान | Shree Pandit Tulsiram Ji Swami Ke Charo Vyakhyan
श्रेणी : हिंदू - Hinduism
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.46 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(९)
लि यमन गन कस सक दस कलयपसयमयम 2
छावे। थड दुद्ि बस छौर घद कभी कुछ जन्यया: कर्म हो शाधे तब सस
' का प्रतीकछार पा प्रायशियत दाराधे । ब्रह्मा के फा्ज को पर लिखे बे दूसत्र
, में देख फ़र' श्ोषियों से भपसे २ यन्यों में और विशेष रुपएता से मिरुपण
रिया है । यपराई लन्दोया शामनन्ति,
-यहारयं हैप मिषकू यहू ब्रह्मा यज्ञायेव तटुपेजं कर्क हरति॥ .
घी वश फा “यह बेद है, थो कि प्रक्मा है, ,बह यन्न के लिये हो
_ झीषच दना के पहुंचाता है । सभा-
यह्स्य मिरिष्टं सन्दूधाति भेरजकृता ह
वा एप यसो. यद्नैवंधि्ू त्रह्मा मघति ॥
ड ( कॉयसशाउीप छान्दोग्य प्र ४ स० १9 )
लात ब्रह्मा यत को निर्दोष उन्धान करता है क्योंकि थह श्रौषयकत
है, लिसे में ऐसा दिद्दादु ज्रसों छोता है ॥
यद्यक्तोरिष्येद् भू“रवाहेलिगाहेपत्ये जहयाद्।
( की दुश छा० छा प्र 9 खे० १३३
जज कि जद का अपराध होने से दोप उत्पक ऐो ती ब्रह्मा “शॉ
'' लूः खरा” इस सत्र में पाइंपत्य भाग में शाइति देकर उब़का प्रतीकार ,
: वा प्रायदिदत फरे ॥ ः
श्रांच क्र बेडिफिकमेकादड ले भश्टाठ पुरुष शा फरगे कि किसी ,
ऋचा के पांठसांत्र में-कोई भू चूक हो जासा किंसनी बढ़ी जात है जिस
के लिये ब्रह्ना को मामशिचिस.फी आाधश्पकता पढ़ें?
दिजार करने देखा जाम सो लिखी अेद्मम्त्र के पाठ में के दू पड़ना महा
शारो अपराध है । पा से समहुछु पुरुष चहीं शानते हैं कि सस्प्रति रान- ,.
:..'कोय. निधोरित गीति (फक्ानन) वा किसी एच्चांघिकारो ( गवनेरादि) वो
' राज के मास्थान ( स्पीच ) का सलुवाद फरबे छुवे प्रयेशनीय विषय में, -.' -
: ूछ था शान थे फोर शन्यया बेएलें खिसे दमके सभक्तावे और तबुनुसार,
खछ,का कान करे.वा कराबे तो छवश्द अपराधी है। सब्र कि लोक में -
” राकादि के प्रकाशित झाश्ञापन्र था क़ानन-के शब्दों से अन्यथा भाव करना.
'-चां सासनो जपराघ है. जिस में किदहुधा राजादि की सूल भी उरूभव दे.
- सबमभध हो नहीं किस प्रायः .पढिो २-आशाओं .का संशोधन राजा वा
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