योग चिकित्सा नीरोग रहने के सरल उपाय | Yog-chitishak Narirog Rahneke Saral Upay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
0.66 MB
कुल पष्ठ :
31
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(. *३ )
चाहिये.। :जब मालुम हो कि,बाद्य मन ,सूपुपति.अवस्थासें दे झयरा
स्थिर हो गया है मनको जो आज्लाएं देनी हों दे डाढ़ो,
जो संस्कार ड्रालना हो डाल दो, वे सब सफल होंगे । ये राजयोग
की गुप्त कु जियां छोकहितके ठिए प्रकटकी जाती दें। इनसे ढाभ
उढ़ाकर बलवान ओर. विजयी होना अथवा छाम न उठाकर दुबंछ
और पराधीनू रहना स्वयं तुम्दारे ही दाथमें है। प्रत्येक मनुष्य
अपने सद्भाग्यका स्क्य॑ कर्ता हर्ता है।.
साधनाका द्वार
अब यदि तुम बलवान और स्वस्थ होनेके लिये उत्सुक हो; जो
गुप्त रोतियाँ बताई जाती हैं उनका लगातार अभ्यास करते रहनेकी
दृड़ता रखते हो तो आगेकी पंक्तियोंको पढ़ो नहीं तो इस लेखकों
एक ओर लाक़में रख -दो अथबा किसी विल्लेब अधिकारी मित्रके
उन्घीन करदो । ,'कितने ही मनुष्य छोटे बालकके समान जिज्ञासु
होते हैं । वे कोई नई बात सुनकर तुरन्त उसके मोहमें पड़ जाते हैं
गौर उसके पीछें दोड़न ढमते दें वे एक या दो दिन उसका प्रयोग
” करते हैं और मनः कल्पित परिणामक्री सिद्धि न दिखाई देने पर उसे
छोड़ वेते हैं। एक बालक जमीनमें बीज बोता हे; उसके ऊपर
ज्ढ सिंचन करता है, मिट्टी द्वारा उसे ढांक देता है परन्तु अंकुर
फूटा या नहदीं यह देखने के छिये अधीर होकर दस दस पन्द्रद्द पन्द्रह
मिनिटमें मिक्टी खोदकर देखता दे। अब विचारों, कया वह बीज
कसी -अंकुच्त्र डोसा तुम इस बालकके समान आशीर हो जो
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