राष्ट्र - भाषा - हिन्दी | Rashtra Bhasha Hindi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कोने-कोने में आसानी से आपके विचारों का प्रचार हो सके । गान्धो जी मै जवाब में कहा--यदि मेरी बात में सचाई है तो बिना रिंकाड' के हो लोग उसे सुन लेंगे । उसी तरह, जिस साहित्य में सचाईं दे वह चाहे जिस भाषा में हो, अवश्य जीवित रहेगा । अतएव में अपने को इस फगड़े से अलग रखना चाहता हूँ। ........ .... कम में साहित्यिक नहीं और न होने का दावा रखता हूँ । राष्ट-भाषा- हूँ। इसके प्रचार के लिए मुकसे जो-कुछ बन पढ़ा है, मेंने किया है । हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन के कार्य--सम्मेलन के दो काये हैं, (१) साहित्य-निर्माण और (२) राष्ट्र-भाषा-प्रचार ।.इसी दूसरे काम में. थोड़ा सदयोग करने के कारण में सम्मेलन के ऊचे-से-ऊँचे पद पर पहुँ ८ठी८ माषा ऐसी होनी चाहिए, जिसे केवल एक जगह के ही लोग न समझें; बदिक उसे देश के सभी प्रान्तों में सुगमता से पहुँचा सकें । जब यह. आसानी से समकने के लिए हमारी रा्ट्र-भाषा का रूप केसा हो, तंब हम लोगों को सोचना पढ़ा कि इन सब भाषाओं में 'संस्कृत का समावेश चुका हैं । ऐसे सँस्कृत शब्दों तीय भाषाओं में हो चुका है, हिन्दी से निकालना दम कबल' नहीं कर. सकते 1: उन्हें निकालकर हम हिन्दी को उन प्रान्तों के लोगों के दिए कठिन बना देंगे । (२) साथ ही, उत्तरी भारत में बहत-से लोग धरबी-फारसी मिश्रित माषा का प्रयोग करते हैं । उन लोगों के लिए




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