राष्ट्र भाषा हिंदी | Rashtra Bhasha Hindi

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Rashtra Bhasha Hindi by श्री नरदेव शास्त्री - Shri Nardev Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बम उसके सदस्य न बनेंगे मैं थी शादर रहूँगा। यद सच दे कि मैं दिं० अन सभा का सदस्य भदीं बना हूँ । इस सम्पर्घ में सन्‌ ४ में काका कालेकर जी ने भुर्से कदा था भौर दाव में दा ० ताराघन्द मे । अपने बम्दई में पट्यनी जाने से पदले ९ लिफाफे में दो पत्र सुमे सेजे थे। उनमें से एक में आपने इस दिपय में लिखा था । किन्तु झुक दिद्ञकुल स्मरण ईदी दै कि कभी श्रापने मौखिक रीठि से मुरसे हु ० प्र० समा के सदस्य बनने के जिए का हो और मैंने भम्दुख- हक़ साइय का इवाढ़ा देकर इन्कार किया हो । मुकते खगठा हे कि आपने एक सुनी हुई वात को झापने सामने हुई वात में स्छति-भम से परियव कर दिया है । संत ४२ में काका की ने जय श्वर्चा की उस समय ऑैंने उनसे मौलवी अझम्दुलदक़ तथा उदू बालों को लाने की बात अवर्य कही थी । सारपयें बद्दी था जो धाज मी है शर्यात्‌ यह कि शब तक दिन्दी धौर डदू लेखक दिम्दी उदू के समन्वय में शरीक महीं हीते सब तक यह यान सफल मददीं दो सकता | दिं० प्र० सभा अदि इस काम में कुछ भी सफलता प्राप्त करेगी तो वह अवरम मेरे चस्पदाद की पाती इोगी । आज सो हिं प्० सभा में शामित धोने में मेरी कदिनता इसलिए बद गई है कि बद दिन्दी और उदू” दोनों को मिवने के अतिरिस्ट दिल्‍्दी और डदू' दोनों शीलियों भर छिपियों को अछण-घश्तर प्रत्येक देशवासी को सिखाने को चात करती है । थद को मैने सापके पत्र की बातों का उत्तर दिया । मेरा निवेदस है कि इन बातों से यदद परिणाम नदी निकलता कि आप अयवा दिं« अब सभा के अन्य सदस्य सम्मेलन से अज्ण हों । सम्मेलन इदय से आप सर्वो को झपने भीतर रखनां चाइता दै। आपके रदने से याद अपना गौरच समझता दै। झाप झाज जी कांस करना चाइदे हैं बढ सम्मेडन का भपना काम नहीं दे। किस्तु सम्मेक्षन जिठना करता है थदद झापका काम है 1 झार उससे झक्ग जो करना चाहते दें उसे सम्मेखन में रहते हुए भी स्वतन्त्रतापूवंक कर सकते हैं । ... --यु० दा०टणद्श




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